
यही हमारी 4 दिन तक स्थानीय संपरिक्षा निधि में चक्कर काटने की सफलता है। गौर करने की बात है कि स्थानीय संपरिक्षा निधि जबलपुर ने वेतन निर्धारण के मूल आधार पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया है। यहाँ तक कह दिया है कि ऑर्डर में वेतन निर्धारण का कोई फॉर्मूला ही नहीँ है। इससे साफ जाहिर होता है कि यदि कोई वेतन निर्धारण करता भी है तो वह मनगढ़ंत ही होगा।
स्थानीय संपरिक्षा निधि ने सेवा काल की गणना 2007 से करने को गम्भीरता से लिया है जिसके चलते मिली हुई क्रमोन्न्ती पर भी प्रश्न खड़ा हो गया है। कुल मिलाकर लगता नहीँ ये गणना पत्रक कुछ लाभ देने की नियत से बनाया गया है। यदि जल्दी और सार्थक मार्ग दर्शन नहीँ मिला तो पूरे प्रदेश में जितने जिले हैं उतने ही तरह के वेतन निर्धारण देखने को मिलेगा।