नई दिल्ली। नोटबंदी जैसा सख्त फैसला करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ढाई साल के कार्यकाल में 7 बार भावुक हो चुके हैं। कई मौकों पर उनकी आंखों से आंसू देख गए हैं। एक नजर इन मौकों पर:
8 नवंबर 2016 - नोटबंदी के बाद पहली बार 13 नवंबर को गोवा में भाषण देते हुए बोले- मैंने घर-परिवार... सब देश के लिए छोड़ दिया। यह बोलते वक्त मोदी को बमुश्किल अपने आंसू जज्ब करते देखे गए।
मई 2015 - बंगाल दौरे के दौरान मोदी पहली बार बेलूर मठ गए थे। वहां जब उनके लिए स्वामी विवेकानंद का कमरा खोला गया तो वे भावुक हो उठे। मोदी जब युवावस्था में साधु बनना चाहते थे, तब इसी मठ ने 3 बार उनकी अपील को नामंजूर कर दिया था।
जनवरी 2016 - बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान छात्र रोहित वेमुला की मौत का जिक्र करते वक्त भी मोदी भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा था कि एक मां ने अपना बेटा खोया है, इसका दर्द वह महसूस कर सकते हैं।
सितंबर 2015 - जब मोदी फेसबुक हेडक्वॉर्टर में मार्क जुकरबर्ग के सवालों के जवाब दे रहे थे, तब अपनी मां से संबंधित सवाल का जवाब देते वक्त उनकी आंखें भर आई थीं। मां के संघर्ष के बारे में बताते-बताते वे भावुक हो गए थे।
नवंबर 2015 - संसद में संविधान चर्चा के दौरान भावुक हुए थे। बाबा आंबेडकर का जिक्र करते वक्त उनकी आंखें भर आई थीं।
मई 2014 - भाजपा के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद संसद के सेंट्रल हाल में लालकृष्ण आडवाणी के बयान (नरेंद्र भाई ने कृपा की) का जिक्र करते हुए मोदी के आंसू छलक पड़े थे। उन्होंने रूंधे गले से कहा था कि वह (आडवाणी) कृपा शब्द का प्रयोग न करें। मां की सेवा कभी कृपा नहीं होती। मेरे लिए भाजपा मां के समान है।
मई 2014 - प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी के लिए गुजरात विधानसभा में विशेष सत्र रखा गया था। इसमें मोदी ने विदाई भाषण में विपक्ष की तारीफ की थी। जब विपक्ष के नेता उन्हें शुभकामनाएं दे रहे थे, तब मोदी भावुक हो गए थे।