तमाम इंतजामों के बावजूद अब तक सिर्फ 10 प्रतिशत पुराने नोट ही बदले जा सके हैं। 90 प्रतिशत नोट आज भी कतार में हैं। बैंक एक्स्ट्रा टाइम खर्च करके भी नोट बदल पाने में सक्षम नहीं हैं। व्यवस्थाएं जरूरत के हिसाब से बहुत कम हैं।
नोटबंदी कें बाद जनता को राहत देने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है. बैंकों के शेड्यूल बढ़ाए जा रहे हैं. एटीएम में कैश फ्लो पर खास नजर रखी जा रही है पर बाजार के हालात देखते हुए लगता है कि सब कुछ सामान्य होने में कम से कम सात हफ्ते लग सकते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद 8 से 10 नवंबर के बीच बैंकों को 5,44,517 करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा हुए हैं. इसी दौरान अकाउंट होल्डर्स ने करीब 1,03,316 करोड़ रुपए कैश बैंक और एटीएम से निकाले हैं और 33,006 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले गए हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जो डाटा जारी किया है उसके मुताबिक बाजार में अब तक 1.36 लाख करोड़ रुपए आए हैं. यानी अब तक पुराने नोटों के मूल्य का 10 फीसदी से भी कम बदला जा सका है. सरकार ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद करने का फैसला सुनाया था.
बाजार में जो नई करेंसी आई है, वह पुराने नोटों का मूल्य का 10 फीसदी से भी कम है. यानी बाजार में करीब 14 लाख करोड़ रुपए के बड़े नोटों की करंसी है.