
प्रदेश के सभी कलेक्टर्स, कमिश्नर्स और विभागीय प्रमुखों को पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्गों के कल्याण के लिए क्रियान्वित विकास योजनाओं के अन्तर्गत अलग-अलग उप योजनाओं पर बजट बनेगा। अलग से बनाई जा रही बजट पुस्तिका में इस बार मांग संख्या में न रखे जाकर संबंधित प्रशासकीय विभाग की मांग संख्याओं में ही शामिल किए जायंगे। इन सभी उप योजनाओं का समावेश करते हुए अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए अनुमानित व्यय के प्रावधान किये जायेंगे।
कमजोर वर्गों के विकास पर फोकस
राज्य सरकार का वार्षिक बजट कमजोर वर्गों के विकास पर केन्द्रित रहेगा। सूत्रों की माने तो आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 30 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के वोट पाने के लिए चुनावी तैयारी शुरू हो गई है। यह भी खबर है कि इस बार का बजट इस वर्ग के लिए दो गुना तक बढ़ सकता है।
मंत्रियों और विधायकों के वेतन-भत्ते अनिवार्य व्यय में शामिल
राज्य सरकार ने नये बजट में प्लान और नॉनप्लान सिस्टम को समाप्त कर दिया है। नये प्रावधानों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। पहला स्थापना और अन्य अनिवार्य व्यय प्रावधान होगा जिसमें ब्याज भुगतान, ऋण वापसी, पेंशन, पेंशन अंशदान, एन्यूटी भुगतान, अंतर लेखांतरण समायोजन, डिक्री धन कर, रायल्टी भुगतान, मंत्रियों, विधायकों एवं शासकीय सेवकों के वेतन-भत्ते रहेंगे।
हर विभाग बनायेगा पांच साल का प्लान
यह भी निर्देश हुए हैं कि विभिन्न विभाग मध्यकालीन व्यय की रूपरेखा (पांच साल का व्यय प्लान) तैयार करेगा जिससे विभिन्न क्षेत्रों, योजनाओं के लिए धनराशि की जरूरत का वास्तविक आंकलन होगा। इससे नई योजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधान की उपलब्धता का भी निर्धारण हो सकेगा। वित्त विभाग ने कहा है कि राज्य सरकार वर्तमान में व्यवस्था जेंडर बजट व कृषि बजट संबंधी व्यवस्था पर कोई परिवर्तन नहीं करेगी।