गुजरात में भाजपा से चार बार के विधायक और 14 साल तक ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल मंत्री रहे सौरभ पटेल का आठ तटवर्ती कोल ब्लॉक में वित्तिय हिस्सेदारी की बात सामने आई है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, 7 अगस्त 2016 को गांधीनगर में नेतृत्व परिवर्तन के बाद आनंदीबेन पटेल की जगह विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री बनने पर सौरभ को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008 में जब पटेल नरेंद्र मोदी की सरकार में ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल मंत्री थे तब उनके भाई मेहुल दलाल और भाभी निकिता दलाल ने सुरज्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई थी। इनमें सभी की पांच हजार शेयर की हिस्सेदारी थी। इसके अगले साल पटेल और उनके बेटे अभय दलाल को भी इस कंपनी में पांच हजार शेयर की हिस्सेदारी मिली। यह हिस्सेदारी आज की तारीख में भी जारी है।
बताते चलें कि सौरभ पटले धीरूभाई अंबानी के बड़े भाई रमणीकभाई अंबानी के दामाद हैं। साल 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल किया था। इसके बाद 2016 तक वे ऊर्जा एवं पेट्रोकेमिकल, खनिज, स्टेशनरी, पर्यटन, सिविल एविएशन, नमक उद्योग सहित कई मंत्रालय संभालते रहे।
ऑफिस का पता बदला
सौरभ और उनके बेटे ने अपने घर का पता नंदन पंचवटी, एलिसब्रिज, अहमदाबाद और कंपनी का पता 3-सी, सेंटर प्वाइंट, पंचवटी, एलिसब्रिज, अहमदाबाद लिखा है। इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि जब उनकी टीम इस पते पर पहुंची तो उन्हें पता चला कि ऑफिस गुलाबी टेकरा, पंचवटी, अहमदाबाद शिफ्ट हो गया है।
अक्टूबर और दिसंबर 2009 के बीच सौरभ पटेल उर्जा मंत्री थे। इस दौरा सुरज्य ने प्राइवेट कंपनी गुजरात नेचुरल रिसोर्स लिमिटेड में निवेश किया था। यह एक तेल और गैस अन्वेषण व्यापार था। इससे प्रॉपर्टी और निवेश में हितों में टकराव पर सवाल उठते हैं।
जांच में लेन-देन का खुलासा हुआ
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी के रिकॉर्ड, बैलेंस शीट और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में फाइलिंग की जांच की तो लेन-देन का खुलासा हुआ। सौरभ पटेल ने इस बारे में बताया कि यह उनकी छवि खराब करने की कोशिश है। वे इस व्यापार में साल 1998 से हैं। उन्हें इस बारे में याद नहीं हैं। उनके ऊपर लग रहे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।