देहरादून। भारत-पाक के बीच तल्ख होते रिश्तों को देखते हुए संत समाज ने मोदी सरकार का साथ निभाने का फैसला किया है। नागा साधुओं की फौज पाकिस्तान पर हमला करना चाहती थी। बता दें कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है। उन्हें शास्त्रों के अलावा शस्त्रों का भी ज्ञान होता है। वो प्रकृति को बहुत निकट से जानते हैं और जहरीले जीव जंतुओं का विष उन पर बेअसर होता है। वो कई दिनों तक भूखे रह सकते हैं और एक प्रकार के छापामार युद्ध में निपुण होते हैं। वो इंसान को जला देने वाली गर्मी में भी आराम से रह सकते हैं और पानी को बर्फ बना देने वाली सर्दी में भी। वो कई घंटों तक पानी के भीतर रह सकते हैं और कई दिनों तक सांस रोककर समाधि ले सकते हैं।
हरिद्वार में संतों का जमावड़ा लग रहा है। इस बैठक में सभी अखाड़ों के संत भाग ले रहे हैं। बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगा कि अगर पाक पर कार्रवाई करने के लिए सरकार को संतों की और नागा फौज की जरूरत पड़ती है, तो नागा साधु तैयार हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि संतों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का भी पूरा ज्ञान करवाया जाता है इसलिए बैठक में यह मुद्दा मुख्य रूप से लिया जायेगा।
जूना निरंजनी सहित कई अखाड़ों के पास बड़ी नागा सन्यासियों की फौज है, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी कहते हैं कि साधुओं ने मुगलों से टक्कर ली थी, वैसे ही वे पाक से भी लड़ने को तैयार हैं और एक बार नागा आगे बढ़े तो फिर वे पीछे नहीं हटेंगे।
राज्य को घेरेंगे संत
इस बैठक का दूसरा मुख्य मुद्दा है राज्य सरकार को घेरने का। साधुओं का कहना है कि राज्य सरकार ने धार्मिक आश्रम और तमाम मठों पर कर बढ़ा दिया है। संतों का कहना है कि वे राज्य सरकार से मांग करेंगे कि इसे कम किया जाए। अगर राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है, तो उसका कड़ा विरोध किया जायेगा।
राज्य के साथ-साथ इस बैठक में केंद्र की नमामि गंगे पर भी चर्चा होगी। संत बैठक में केंद्र से ये भी मांग करेंगे कि गंगा के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे योजना में संतों की भी भागीदारी होनी चाहिए।