
बिजली कंपनी में लंबे समय से अनुकंपा नियुक्तियां बंद थीं। 2013 में सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति नीति बनाकर नियुक्तियां तो शुरू कर दी, लेकिन उन कर्मचारियों के परिजन को प्रक्रिया से बाहर कर दिया जिनकी मृत्यु 10 अप्रैल 2012 के पहले हुई थी। 2014 में इस नीति में संशोधन कर तय हुआ कि सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति का फायदा मिलेगा, जिनकी मृत्यु कार्य के दौरान हुई थी।
सरकार की इस नीति को चुनौती देते हुए मृत कर्मचारियों के परिजन ने एडवोकेट मनीष यादव और मनुराज सिंह के माध्यम से वायरस याचिका दायर की। सोमवार को जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस आरके दुबे की डिविजनल बेंच ने ऊर्जा मंत्रालय के मुख्य सचिव, अतिरिक्त सचिव बिजली बोर्ड, उपयंत्री मप्र विद्युत वितरण कंपनी पश्चिम क्षेत्र इंदौर, बड़वानी और खरगोन को नोटिस जारी किए।