
इस बीच शासन की ओर से सुबह एक नई दरख्वास्त लगाई गई जिसमें निवेदन किया गया कि प्रकरण कि सुनवाई अगले वर्ष जनवरी में की जावे। उल्लेखनीय है कि शासन स्तर से हर बार प्रकरण में विलम्ब करने की ही कोशिश की जा रही है। इसके पूर्व शासन ने 4-हफ्ते का समय माँगा था काउंटर देने के लिये, जिसे हमारे विरोध के बाद न्यायालय ने 2-हफ्ता किया था। शासन ने अपना काउंटर 23-नवम्बर की सुनवाई के एक दिन पहले दिया, मंशा थी कि हम खुद समय बढ़ाने का आवेदन करेंगे। ऐसा नहीं होने के कारण अब आज यह चाल चली गई। हमारे एडवोकेट के पुरजोर विरोध के बाद न्यायालय ने अतिरिक्त समय देने से मना कर दिया। उम्मीद है प्रकरण पर कल अथवा 7-दिसम्बर को सुनवाई होगी।
हमें उम्मीद ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि शासन यह कोशिश आगे भी करता रहेगा। क्योंकि उसके पास रखने को कोई तार्किक तथ्य हैं ही नहीं। हम अपनी ओर से पूरी नज़र शासन कि चालों पर रख रहे हैं और भरसक कोशिश कर रहे हैं हर चाल नाकामयाब करने की।
इनपुट: लीगल टीम, सपाक्स