
चुनाव आयोग ने चुनावी कदाचार के इरादे से ले जाई जा रही सबसे ज्यादा नगदी अभी तक तमिलनाडु में जब्त की है जो 100 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को भी पार कर गई। आने वाली 19 तारीख को तमिलनाडु के तीन और पुडुचेरी के एक विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हो रहे हैं। तमिलनाडु की दो विधानसभाओं में अब चुनाव इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि यहां से अभूतपूर्व मात्रा में नकदी बरामद के बाद मई में मतदान नहीं हुआ था, जबकि एक जगह नव-निर्वाचित विधायक की मौत होने के कारण सीट खाली हो गई थी। पड़ोसी सूबे पुडुचेरी में मुख्यमंत्री वी नारायणसामी विधानसभा की सदस्यता हासिल करने के लिए खाली की गई सीट से उप-चुनाव लड़ रहे हैं। उप-चुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा अब भी मतदाताओं में नोट भारी मात्रा में बांटे जा रहे हैं। कुछ जगहों पर तो 500 और 1000 के पुराने नोट ही बांटे गए हैं और वोटरों को कहा गया है कि वे अपने बैंक से इसे बदलवा लें।
नोटबंदी से सामान्य कारोबारी गतिविधियां थम-सी गई हैं, किसानों और गांव वालों की बैंकों तक सीमित पहुंच बन पा रही है, जबकि एटीएम सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। दैनिक मजूदर भी इससे खासे प्रभावित हुए हैं। इसने शायद ही भ्रष्टाचार पर कोई रोक लगाई है। कुछ अपुष्ट स्रोत बताते हैं कि शराब की दुकानों पर बड़े नोट धड़ल्ले से बदले जा रहे हैं। इसी तरह, सत्ताधारी पार्टी के नेता अपनी बड़ी रकम को-ऑपरेटिव बैंकों के जरिये खपा रहे हैं। बीते आठ नवंबर से, जब से बड़े नोटों के बारे में कदम उठाया गया है, सबका ध्यान बैंकों से रकम हासिल करने पर लगा हुआ है, ताकि रोजमर्रा की चीजें खरीदी जा सकें। देहाती इलाकों, खासकर दूरदराज के इलाकों में संकट गहरा है, जहां बैंक बहुत कम पहुंच पाए हैं। काले धन के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का शुरुआती उल्लास धीरे-धीरे निराशा में बदल रही है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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