
उपमा चंडीगढ़ में जन्मीं थी। बाद में वह वकालत की पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया चली गई। इसी दौरान जाकर 'चायवाली' बन गई। ऑस्ट्रेलिया में इन्होंने चाय का बिजनेस शुरू किया। उपमा के दादा जी ने उनका परिचय आयुर्वेदिक चाय के फायदों से कराया था। कभी चंडीगढ़ में उनके दादा जी देसी दवाएं बेचते थे। उपमा कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया में ऐसी कम ही जगहें मिलीं, जहां अच्छी चाय मिलती हो। ऑस्ट्रेलिया में रहने के बावजूद उपमा का भारत के साथ जुड़ाव बना हुआ है। उनके कई रिश्तेदार भारत में ही हैं।
माता पिता थे फैसले के खिलाफ
उपमा कहती हैं कि भारतीय 'चाय का स्वाद दुनिया के बाकी देशों की चाय से अलग है। हम भारतीय चाय को और स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें इलायची, लौंग तथा कई तरह की बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। शुरुआत में उनके माता-पिता उनके फैसले के खिलाफ थे, उनका कहना था कि एक वकील को चाय बेचने की क्या जरूरत है लेकिन अपनी मेहनत से उन्हें इंडियन ऑस्ट्रेलियन बिजनेस कम्युनिटी अवॉर्ड में उन्हें 'बिजनेसवुमन ऑफ द इयर' के खिताब से नवाजा गया।