भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी के फैसले से प्रभावित होकर प्रदेश के भ्रष्टाचार की पोल खोलने का दावा करने वाली निलंबित आईएएस शशि कर्णावत के एलान के बाद सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। आईएएस कर्णावत ने एलान किया था कि वो प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार का खुलासा करेगी और उन अफसरों की सूची जारी करेंगी जिन्होंने भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।
कर्णावत के एलान के बाद सरकार बैकफुट पर आ गयी और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने उन्हें आज फोन करके अपने दफ्तर बुलाया। माना जा रहा है कि उनके इस एलान के बाद सीएम शिवराज सिंह के निर्देश पर कर्णावत को बुलाया गया है। कर्णावत ने बताया कि सीएम के प्रमुख सचिव ने उनसे उनके प्रकरण को लेकर जानकारी मांगी और निराकरण का आश्वासन दिया है।
हालांकि जब कर्णावत को बुलाया गया था। तो उन्हें कारण नहीं बताया गया था। इसलिए वो अपने प्रकरण से संबंधित कागजात लेकर नहीं पहुंची थी। उन्हें फिर से अपने प्रकरण से संबंधित कागजात लाकर मिलने के लिए कहा गया है। बुधवार को कर्णावत ने कहा था कि देश के हर नागरिक को संवेदनशीलता का स्तर होना चाहिए कि माननीय प्रधानमंत्री जी भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए पहल करें और जो भी सहयोग दे सकते हैं वो सहयोग करें।
उन्होंने कहा था कि मैंने जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण सुना तो उसमे मध्यप्रदेश का उदाहरण देखा, तो मुझे लगा कि मेरे प्रदेश की बात आ रही है और अगर हृदय प्रदेश साफ नहीं होगा, भ्रष्टाचार मुक्त नहीं होगा तो पूरे देश के बारे में सोचा नहीं जा सकता। इसलिए जो भी साफ सफाई होना चाहिए वो मप्र से होना चाहिए। गंदगी कहां है, भ्रष्टाचार कहां है या बेनामी संपत्ति कहां है। 24 साल की नौकरी करते हुए मुझे मालूम है।
बुधवार को कर्णावत के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल का फोन पहुंच गया और उन्होंने तत्काल उन्हें मंत्रालय पहुंचकर मिलने के लिए कहा।
कर्णावत का कहना है कि मेरे प्रकरण के संबंधित पहलुओं पर मुख्यमंत्री को अधिकार है कि वो मेरा निलंबन रद्द कर सकते हैं और मुझे बहाल कर सकते हैं। अब निर्णय मुख्यंमत्री को लेना है। कर्णावत का कहना है कि दो आईएफएस अफसरों को इसी तरह के प्रकरण निलंबित नहीं किया गया और मेरी नौकरी के पीछे पड़े हैं।