बंदी के मामले में किसानों को हो रही समस्या पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट की खंंडपीठ ने सहकारी बैंकों में पुराने नोटों के मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये कहा है कि केन्द्र सरकार सभी को एक ही पेंट और ब्रश से नहीं रंग सकती. मामले पर अगली सुनवाई मंगलवार को होगी.
नैनीताल जिले के कालाढूंगी तहसील के एक गांव में रहने वाले अधिवक्ता नीरज तिवारी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर केन्द्र सरकार के 14 नवम्बर के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि 500 और 1000 के पुराने नोट सहकारी बैंकों और समितियों में लिये जाने पर रोक का ये फैसला कानून सही नहीं है और संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है.
याचिका में किसानों की समस्या पर प्रमुखता से फोकस करते हुये याचिकाकर्ता ने कहा है कि खरीफ की फसल बाहरी व्यापारियों को बेचने के बाद किसानों को पुराने नोट ही मिले हैं. ये नोट अब कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं और नोटिफिकेशन के मुताबिक सहकारी बैकों में जमा भी नहीं किये जा रहे हैं.
किसान खरीफ की फसल के समय लिये गये ऋण की अदायगी भी नहीं कर पा रहे हैं. मौजूदा समय में रवि की फसल बोने के लिये बीज और खाद के लिये भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है. ऊधमसिंह नगर समेत पहाड़ के कई हिस्सों का जिक्र जनहित याचिका में किया गया है, जहां किसानों के सामने कई समस्याएं हैं.
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केन्द्र सरकार से जवाब मांगा. संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुये कहा कि केन्द्र सरकार सभी को एक ही पेंट से नहीं रंग सकती है. मामले पर अगली सुनवाई मंगलवार को होगी तब तक केन्द्र और आरबीआई इस मामले पर अपना जवाब कोर्ट में देंगे.