टीकमगढ। जिले में अनुमानित दो हजार से अधिक संख्या में अतिथि शिक्षक शासकीय शिक्षण संस्थाओ में शिक्षण कार्य सम्पन्न करा रहे है। एवं पठन पाठन का कार्य नियमित रूप से कर रहे है। समय पर संस्था खोलना एवं बंद करना,के साथ साथ स्कूल की डाक का काम कर रहे है। इसके बाबजूद चार मांह से मानदेय नही मिला। कैसे अतिथि शिक्षको के परिवार का भरण पोषण हो रहा होगा, इस दर्द को कोई भी अधिकारी जनप्रतिनिधि महसूस नही कर रहा है।
जबकि नियमित अध्यापको की वेतन हर मांह डाली जा रही है। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन पक्षपात कर रहा है। और तो और समास्या भयानक हो गई। नई, मुद्रा के चलन से पुरानी मुद्रा बंद होने से अतिथि शिक्षको को सेठ साहूकारो ने उधार देना बंद कर दिया है। राशन पानी बंद हो गया है। इस बढती आर्थिक समास्या की ओर जिला शिक्षाधिकारी ध्यान न देकर भूल भुलैया हो गये। अतिथि शिक्षको ने जुलाई से नबंम्बर 2016 चार मांह का बढा हुआ। मानदेय की मांग की है।
बताते चले। देश के भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नबंम्बर की रात्रि आठ बजे एक सभा को संम्बोधित करते हुये आदेश जारी किया किया था। की देश में 500 एवं 1000 हजार के नोट रात 12 बजे से अमान्य माने जायेगे। इस प्रकार नई मुद्रा के चलन से पुरानी मुद्रा का चलन बंद होने से आर्थिक समास्या लडखडा गई। जिला में करीब दो हजार से अधिक अतिथि शिक्षक शासकीय संस्थाओं में शिक्षण कार्य कर रहे है। जिन्हे चार मांह से मानदेय नही मिला। पुरानी मुद्रा के बंद होने से उनके सामने और समास्या जटिल हो गई। क्योकि सेठ साहूकारो ने देनदारी बंद कर दी। दुकानदारो ने राशन पानी उधार देना बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षको के सामने आर्थिक समास्या जटिल हो गई। जो नयी मुद्रा प्रचलन है। प्रत्येक आदमी को सीमित राशि बैंक द्रारा दी जा रही है। उस राशि से अमीर लोग अपने दैनिक खर्च कर रहे है।
अतिथि शिक्षको के दर्द की ओर किसी भी बिभागीय अधिकारी कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि का ध्यान नही जा रहा है। जबकि उसी संस्था में नियमित संकुल प्राचार्य एवं अध्यापको को प्रत्येक मांह वेतन दी जा रही है। संकुल केन्द्र पर हर मांह प्राचार्य अध्यापको के बिल बनाये जा रहे है। और कोषालय से वेतन डाली जा रही है। जबकि संकुल केन्द्र अन्तर्गत अतिथि शिक्षको के बिल नही बनाये जा रहे है। इस प्रकार से उन्हे चार माह से मानदेय नही मिला। कैसे उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा होगा। इस ओर जिला शिक्षाधिकारी का ध्यान नही है। सभी अधिकारी कर्मचारी भूल भुलैया में है। जिले के अतिथि शिक्षको ने जुलाई से नबंम्बर तक बढा हुआ मानदेय शीध्र दिलाने की मांग है। जिला प्रशासन सहित प्रदेश सरकार लोकप्रिय मुख्यमंत्री का ध्यान अपेक्षित ।