नईदिल्ली। पाकिस्तान उसे उरी विवाद के बाद उसके दोस्त चीन का भी भारत में पहली बार व्यापक विरोध देखा गया। दीपावली जैसे त्यौहार पर भारतियों ने चीनी सामान का बहिष्कार किया और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी तक एक सशक्त संदेश भी भेजा परंतु भारत की मोदी सरकार चीन के व्यापारियों को प्रोत्साहित कर रही है। वो चीन से आने वाले सामान पर ड्यूटी फीस में छूट देती है। लोगों का कहना है कि सरकार आयात/निर्यात नहीं रोक सकती परंतु प्रोत्साहन क्यों दिया जा रहा है। सवाल उठे तो मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई।
वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण फिलीपींस में तीन-चार नवंबर को रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकॉनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) की मंत्री लेवल की बैठक में इस पर बातचीत कर सकती हैं। वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार चीन का व्यापार दायरा काफी बड़ा है। जापान भी इससे चिंतित है। जहां तक भारत की बात है तो सभी जानते हैं कि चीन सबसे बड़ी समस्या हैं।
सरकार का यह नया कदम चीन के साथ बढ़ते व्यापार दायरे को पाटने के लिए उठाया गया है। साल 2015-16 में भारत ने चीन में 9 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। जबकि उसका चीन से आयात 61.7 बिलियन डॉलर का था। इस तरह से भारत के निर्यात और आयात का अंतर 52.7 बिलियन डॉलर रहा। अधिकारियों के अनुसार कुछ सामानों की नेगेटिव लिस्ट बनाई जाएगी। अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है लेकिन विचार चल रहा है। भारत में ड्यूटी रेट की तीन स्तरीय ढांचा है और सरकार इसे दुरुस्त करना चाहती है लेकिन चीन के साथ व्यापार के दायरे को पाटने के लिए उसके पास यही उम्मीद की किरण है।
रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकॉनॉमिक पार्टनरशिप के तहत 16 देशों के बीच निवेश, व्यापार, तकनीकी सहयोग और विवादों के निपटारे को लेकर समझौता है। इसमें दक्षिण पश्चिम एशिया के 10 देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं।