भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर 15 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाने के मानहानि मामले में मुल्जिम बयान दर्ज कराने मंगलवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती अदालत पहुंची। अदालत ने पूछा कि परिवादी उनके खिलाफ क्यों कथन करते हैं। उन्होंने जवाब दिया कि राजनीतिक ईर्ष्यावश मुझे फंसाया गया है। भाजपा ने मुझे जो जिम्मेदारी दी थी, उसे मैंने पूरा किकया। किसी भी व्यक्ति के प्रति असम्मान का भाव नहीं रखती।
सीजेएम भू भास्कर यादव ने उनसे 35 सवालों के जबाव पूछे। सुश्री भारती ने कहा कि उन्हें अपने बचाव के लिए गवाह देने हैं। इस मामले में उनकी सुनवाई 1 दिसंबर को होगी। 17 अक्टूबर को उमा भारती ने गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद कोर्ट में सरेंडर किया था।
केंद्रीय मंत्री ने वर्ष 2003 में विधानसभा चुनाव के दौरान आरोप लगाया था कि दिग्विजय सिंह ने 15 हजार करोड़ का घोटाला किया है। लेकिन वे इस आरोप को साबित करने के लिए एक भी प्रमाण पेश नहीं कर पाईं। बाद में उन्होंने यह कहकर चौंका दिया था कि उस समय कैलाश जोशी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और कप्तान सिंह सोलंकी संगठन महामंत्री थे। आरोप-पत्र में पूरी पार्टी की भूमिका और सहमति थी। जबकि मानहानि का मुकदमा केवल उनके खिलाफ बनाया गया। उमा भारती ने यह भी कहा था कि वे दिग्विजय सिंह से सार्वजनिक रूप से अपील करती हैं कि मानहानि का मुकदमा वापस लें। ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)