
दरअसल कोर्ट में चल रहे इस केस के मुताबिक, दीपा नाम की महिला ने पति के विवाहेतर संबंधों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। दोनों की शादी को सात साल हुए थे। दीपा के बाद उसके भाई और मां ने भी सुसाइड कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि मानसिक क्रूरता इसपर निर्भर करती है कि व्यक्ति किस परिवेश या परिस्थितियों से गुजर रहा है। पीठ ने कहा, “विवाहेतर संबंध आईपीसी की सेक्शन 498-ए(पत्नी के प्रति क्रूरता) के दायरे में नहीं आता है।” हालांकि कोर्ट ने कहा, “इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि क्रूरता सिर्फ शारीरिक नहीं होती, बल्कि मानसिक टॉर्चर व असामान्य व्यवहार के रूप में भी हो सकती है। यह केस के तथ्यों पर निर्भर करेगा।”
कोर्ट ने कहा कि महिला तलाक या अन्य किसी प्रकार का फैसला ले सकती थी। कोर्ट ने कहा, “हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि अगर कोई पति विवाहेतर संबंध बनाता है तो यह किसी भी तरह से आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जाएगा, हालांकि इसे तलाक का आधार बनाया जा सकता है।” पीठ इन मामलों में निचली अदालत से सजा पाए व्यक्ति की अर्जी पर विचार कर रही है। पत्नी पर मानसिक अत्याचार और उसे आत्महत्या के लिए बाध्य करने के आरोप में उक्त शख्स को कर्नाटक हाई कोर्ट ने सजा दी थी। शीर्ष अदालत ने सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी सजा निरस्त कर दी।