
मामला यूं है कि लड़का और लड़की स्कूल में साथ पढ़ते थे और वहीं से दोनों के बीच प्यार शुरू हुआ। दोनों में से कोई भी अपना धर्म नहीं बदलना चाहता था और केवल एक ही विकल्प था कि स्पेशल मेरिज एक्ट के तहत उनकी शादी को रजिस्टर किया जाए। लड़की 18 साल से ऊपर थी तो वह इसके योग्य थी लेकिन लड़का 21 साल का नहीं हुआ। इसके चलते उन दोनों ने जुलाई में मैत्री करार (गुजरात में लिव इन रिलेशनशिप के लिए ऐसा समझौता होता है) किया।
लड़की के परिजन सितम्बर में उसे जबरदस्ती उसे ले गए। इस पर लड़के ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने कहा कि उसकी गर्लफ्रैंड को बिना उसकी मर्जी के बंधक बना लिया है। जब कोर्ट ने नोटिस जारी किया तो बनासकांठा पुलिस ने लड़की को कोर्ट में पेश किया। यहां लड़की ने कहा कि वह और उसका बॉयफ्रैंड शादी करना चाहते हैं। वह अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती। इस पर कोर्ट ने कहा कि लड़का एफिडेविट दाखिल करें कि 21 साल का होने पर वह लड़की से शादी कर लेगा।