राकेश दुबे@प्रतिदिन। पाकिस्तान की ओर से फिर वही हरकत हुई है। जम्मू-कश्मीर के माछिल में नियंत्रण रेखा पर घात लगाकर बैठे आतंकवादियों या पाकिस्तान के जवानों ने गोलीबारी का लाभ उठाकर, जिस तरह से 57 राष्ट्रीय राइफल्स के तीन जवानों को शहीद किया और उसमें एक का शव फिर क्षत-विक्षत किया; वह सहनशीलता की सीमा को पार करने वाला है। माछिल वही इलाका है, जहां घात लगाकर किए गए हमले में 29 अक्टूबर को 17 सिख रेजीमेंट के सिपाही मनदीप सिंह को शहीद कर उनके शव को क्षत-विक्षत कर दिया गया था। अब इस हरकत पर देश में फिर से उबाल है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान ने एक साथ रेंजर, सेना एवं आतंकवादियों को हर प्रकार की कार्रवाई के लिए झोंक दिया है। तब से 125 बार उसकी ओर से संघर्ष विराम का उल्लंघन हो चुका है। इस प्रकार जवानों के शव को क्षत-विक्षत करना जेनेवा संधि का उल्लंघन है, लेकिन पाकिस्तान इससे कहां मानने वाला है। पाकिस्तान ऐसा देश है जिसे कूटनीतिक मर्यादा की भाषा समझ में नहीं आती। सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ सेवानिवृत्त होते-होते यह जता देना चाहते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक का बदला उन्होंने ले लिया है।
भारत के मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान को पाकिस्तान ने अपने विश्वासघात और वचन तोड़ने की भूमिका से बता दिया है कि शांति और मैत्री की भाषा उसे समझ में नहीं आती. यानी उसे जैसे को तैसा जवाब देना ही हमारे पास एकमात्र विकल्प है और भारत यही कर रहा है। वर्तमान घटनाक्रम के बाद पाकिस्तानी मीडिया मान रहा है कि भारत ने एक साथ कई जगहों से जोरदार हमले किए हैं, जिसमें उस पार जवानों और आम नागरिकों की मौतें हुई हैं। तो जवाब पाकिस्तान को मिल रहा है लेकिन जिस तरह की बर्बरता पाकिस्तान कर सकता है, वैसा भारत नहीं कर सकता। न हम आतंकवादी भेज सकते हैं न किसी सैनिक का सिर काट सकते हैं या उसे किसी तरह से अंग-भंग कर सकते हैं।
तो रास्ता एक ही है, सशक्त निगरानी से अपना बचाव एवं पाकिस्तान को हमले से मुंहतोड़ जवाब देकर ज्यादा से ज्यादा क्षति पहुंचाना। यह काम हमारी ओर से बखूबी हो रहा है। दुर्भाग्य से उसका रवैया इसकी तरफ ही इशारा कर रहा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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