नईदिल्ली। नोटबंदी के असर को जांचने के लिए केंद्र की ओर से राज्यों को भेजी गई अधिकारियों की टीम ने सरकार को बताया है कि लोग इस फैसले के साथ हैं लेकिन फैसले को लागू करने का तरीका संतोषजनक नहीं है। इस टीम का गठन देशभर में नोटबंदी को लेकर स्थिति का आकंलन करने के लिए किया गया था। बैंकों और एटीएम में नकदी न होने, 500 और इससे छोटी रकम के नोटों की कमी, एटीएम का दुरुस्तीकरण और पोस्ट ऑफिस नेटवर्क का पूरा उपयोग ना होना कुछ बड़ी समस्याएं हैं।
वित्त मंत्रालय को पिछले सप्ताह इस संबंध में रिपोर्ट दी गई। हिेंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी भारत के राज्यों में गए एक अधिकारी ने बताया, ”ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में हमें पता चला कि स्थिति नकदी का वितरण बढ़ाए जाने पर ही सुधरेगी। साथ ही एटीएम में नियमित अंतराल पर पैसा डाला जाए।”
केंद्र सरकार की टीम को पश्चिम बंगाल और बिहार की कुछ जगहों के अलावा कहीं भी नोटबंदी को लेकर लोगों का गुस्सा देखने को नहीं मिला। टीम के अनुसार लोग सरकार के इस फैसले से सहमत नजर आए। एक अधिकारी के अनुसार, ”लंबी लाइनों में इंतजार करने के बावजूद लोगों ने कहा कि मोदी ने अच्छा काम किया है। यह केवल मोदी का फैसला था एनडीए सरकार का नहीं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्व के राज्यों में ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों ने कहा कि वे परेशानी झेलने को तैयार है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका नतीजा अच्छा होगा।” रिपोर्ट में साथ ही कहा गया कि थोड़े से समय के लिए रिटेल और निर्माण क्षेत्र पर बुरा असर पड़ेगा। उत्तर और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सो में निर्माण क्षेत्र में राजस्व 30 प्रतिशत तक गिर गया है।
पूर्वी भारत के कुछ राज्यों के किसानों नोटबंदी के फैसले पर नाराजगी जाहिर की। एक अधिकारी ने बताया कि यह बुवाई का समय है और पैसे की कमी से किसानों पर बुरा असर पड़ा है। कइयों के पास मजदूरों को देने के लिए पैसे नहीं है। उनकी मदद के लिए सरकार को जल्द ही कदम उठाने होंगे। केंद्रीय टीम ने सुझाव दिया कि लोगों को नकदी रहित लेन-देन के लिए जागरूक करने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। साथ ही कहा गया है कि 30 दिसंबर तक बैंकों का समय दो घंटे तक बढ़ा देना चाहिए।