भोपाल। सिमी के 8 आतंकी फरार हुए और मारे गए लेकिन यह वारदात कई सवाल पैदा कर गई। एक जानकारी यह भी आ रही है कि जिस बैरक में आतंकवादी बंद थे, उसका सीसीटीवी कैमरा भी काफी दिनों से बंद था। इतना ही नहीं स्पेशल आर्म्ड फोर्स के जिस जवानों की ड्यूटी आतंकवादियों पर नजर रखने के लिए लगाई गई थी, वही वारदात के वक्त सो रहे थे। जेल में हमेशा से कम स्टाफ था।
सेंट्रल जेल में करीब 3400 कैदी हैं। अबू फैजल जैसे खतरनाक आतंकियों के अलावा सजायाफ्ता नक्सली भी इनमें शामिल है। दिवाली की रात यहां 70 सिक्युरिटी गार्ड होने थे। मगर सिर्फ 40 ही ड्यूटी पर थे। हालांकि जिस हाई सिक्युरिटी सेल से आतंकी निकले वहां के लिए तैनात पूरा स्टाफ मौजूद था।
एसएएफ के चार जवान, जिन्हें खास आतंकियों की निगरानी के लिए सरकार ने यहां रखा। जब आतंकी अपने प्लान पर काम कर रहे थे। ये जवान सो रहे थे। सेल की निगरानी के लिए चार सीसीटीवी कैमरे हैं, जो कई दिनों से काम ही नहीं कर रहे थे। सबसे अहम सवाल बैरकों की सारी चाबियां करीब डेढ़ किमी के फासले पर जेलर के केबिन में जस की तस मौजूद थीं।
आतंकियों की लंबी प्लानिंग का ही नमूना है कि टूथब्रश से उन्होंने हर ताले की चाबी तक बना ली थी। रास्ते में आने वाले हर गार्ड से निपटने खाने के लिए मिली थाली और चम्मच को धारदार करते रहे ताकि चाकू की तरह इस्तेमाल कर सकें, जैसा कि उन्होंने किया भी।
छत पर सोए हुए थे एसएएफ जवान
जेल प्रबंधन ने सिमी आतंकियों और कैदियों की निगरानी करने हाई सिक्युरिटी सेल की छत पर एसएएफ के चार जवानों की ड्यूटी लगाई थी। सुरक्षा में तैनात एसएएफ के चारों ही जवान घटना के वक्त सोए हुए थे। जबकि छत पर इनकी ड्यूटी जेल की चार दीवारी के नजदीक होने वाली गतिविधियों पर नजर रखने लगाई गई थी।
और सोशल मीडिया में आया ये सवाल
फेसबुक और वाट्सएप पर इस घटना को लेकर जैसे जंग ही छिड़ गई। कई लोग इस एनकाउंटर को असली दिवाली, दिवाली पर सरकार का तोहफा, पुलिस की असरदार आतिशबाजी बता रहे थे। दूसरी तरफ एक तबका ऐसा भी था जिसके पास सवाल थे। जैसे- आतंकियों के पास जींस, शर्ट और शूज कहां से आए, किसने पहनाए? उनके पास हथियार किसने थमाए? जेल से निकलने के बाद सब एक साथ एक ही जगह क्यों गए? टूथब्रश से चाबी और थाली से चाकू बनाने की तकनीक पहली बार सुनी।