
2009 से ये आतंकी जेल में हैं। शुरू से ही इन्होंने जेल के अफसरों पर दहशत कायम रखी है। आए दिन अफसरों को धमकी देना इनकी आदत में है। अब भी 21 आतंकी जेल में हैं। वे एडमिनिस्ट्रेशन की हर कार्रवाई पर रोड़ा अटकाने की कोशिश में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक पहले भी इन्होंने कई बार अफसरों के परिवार को खत्म करने तक की धमकी भी दी। इसीलिए अफसर इनके आसपास आने से कतराने लगे थे। वे इनके सामने नेमप्लेट हटाकर जाते थे।
यहां बंद आतंकी चाहते हैं कि बैरकों की जांच न हो। बैरकों से टीवी हटाने के विरोध में भी इन्होंने भूख हड़ताल का ड्रामा किया। अबू फैजल समेत तीन आतंकी अभी भी जिद पर अड़े हैं।
आतंकियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होती है। पिछली कई पेशी के दौरान इन्होंने कैमरे पर जज को लात दिखाई। कैमरे पर थूका। अबू फैजल ने पेशी के दौरान गालियां भी दी थी।
सेंट्रल जेल से भागे आतंकियों की बैरकों में चले सर्च ऑपरेशन में पेंसिल से सादे कागज पर बनाया गया मैप मिला है। इसमें आतंकियों ने फरारी की पूरी प्लानिंग की है।
हर आतंकी पर रोजाना 4500 खर्च
इन 29 आतंकियों पर सालाना करीब 4.69 करोड़ खर्च हुआ। एक बंदी के खाने पर रोज 57 रुपए खर्च होते हैं। इस लिहाज से खाने पर हर साल 29 आतंकियों पर लगभग 6.00 लाख रुपए खर्च हुए। रिटायर्ड डीआईजी जेल आरएस विजयवर्गीय के मुताबिक, सिमी आतंकियों पर अलग से कोई राशि खर्च नहीं होती है लेकिन स्पेशल सेल की सुरक्षा व्यवस्था अलग रहती है।
आतंकियों पर कहां-कहां खर्च
खाना, दो सेल में 24 घंटे 48 सिक्युरिटी गार्ड, तीन अफसर 8-8 घंटे की ड्यूटी पर, पेशी पर सिक्युरिटी के लिए 36 से ज्यादा पुलिसकर्मी और अफसर जबकि इलाज और चेकअप पर भी खर्च किए गए। इन सभी मदों में हर माह 1 लाख 35 हजार हर सिमी आतंकी पर खर्च आया। इस हिसाब से 4500 रुपए एक आतंकी का डेली खर्च। एक साल में एक आतंकी पर खर्च 135000X12= 1620000, 29 आतंकियों पर खर्च 1620000X29= 46980000 (सालाना) 7 साल में खर्च 46980000X7 = 328860000 (रुपए में )।