पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि एक बच्चे के पासपोर्ट में उसके सौतेले पिता का नाम हो सकता है और इसके लिए अदालत की ओर से उसे कानूनन अभिभावक नियुक्त करने की घोषणा करने की दरकार नहीं है.
अदालत का यह फैसला 26 वर्षीय मोहित की ओर से दायर एक याचिका पर बुधवार को आया. अधिकारियों ने मोहित के सौतेले पिता के नाम के साथ वाला पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया था.
अदालत ने पाया कि मोहित के जैविक माता-पिता एस.एम. अरोड़ा और निर्मल अरोड़ा का विवाह दिल्ली में एक अदालत द्वारा 1996 में तलाक की डिक्री द्वारा भंग कर दिया गया था और मोहित की जिम्मेदारी उसकी मां को दे दी गई जिसने 1997 में उज्जल सिंह के साथ पुनर्विवाह कर लिया और पानीपत में अपने विवाह का पंजीकरण कराया.
इसमें कहा गया कि उज्जल सिंह का नाम राशन कार्ड, मोहित के आधार कार्ड, पैन कार्ड और स्कूल के प्रमाण पत्रों में मोहित के पिता के तौर पर दर्ज था. मोहित ने अपने सौतेले पिता के नाम के साथ पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था.
हालांकि, पासपोर्ट अधिकारियों ने पासपोर्ट मैन्युअल एक्ट, 2010 के अध्याय 8 के आधार पर उसे उसके सौतेले पिता के नाम के साथ पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया.
जस्टिस राकेश कुमार जैन ने कहा कि याचिकाकर्ता का सौतेला पिता सभी अभिप्रायों के लिए उसका कानूनी अभिभावक है जिसके लिए अदालत से उसे कानूनी अभिभावक नियुक्त करने के लिए आदेश लेने की जरूरत नहीं है.