
सरकार अब तक महिला और विकलांग अध्यापकों के तबादले उनकी मांग पर करती रही है। पहली बार प्रशासनिक आधार पर तबादले की नीति बनाई गई है। तबादला नीति में अध्यापक संवर्ग में पांच साल की सेवा पूरी करने वाले अध्यापकों के तबादले का प्रावधान है।
यानी जो संविदा शिक्षक तीन-चार साल पहले अध्यापक संवर्ग में आए हैं, उन्हें तबादले के लिए इंतजार करना पड़ेगा। सरकार ने महिला, विकलांग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित अध्यापकों को इस शर्त से बाहर रखा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने नगरीय प्रशासन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा था। इसमें से नगरीय प्रशासन की सहमति मिल गई है।
विषय के रिक्त पदों पर होंगे तबादले
तबादले में विषय का भी ध्यान रखा जाएगा। जैसे गणित विषय के अध्यापक का तबादला संबंधित स्कूल में तभी होगा, जब वहां गणित के शिक्षक का पद खाली होगा। अध्यापक को दूसरे पद के विरुद्ध आवेदन की पात्रता नहीं रहेगी।
ऑनलाइन करना होंगे आवेदन
अध्यापकों को तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन करना होंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के पास सॉफ्टवेयर पहले से मौजूद है। अब तक इसके माध्यम से सिर्फ महिला और विकलांग अध्यापकों के तबादले के आवेदन आते थे। इसमें पुरुष अध्यापकों का विकल्प जोड़ा जा रहा है।
18 साल का इंतजार
अध्यापकों को 18 साल से तबादला नीति का इंतजार है। राज्य सरकार ने वर्ष 1998 में पहली बार शिक्षाकर्मी की भर्ती की थी। तब जिसे जहां जगह मिली, भर्ती हो गया। ये कर्मचारी अब पारिवारिक कारणों से अपने जिले में लौटना चाहते हैं। पिछले 10 साल से यह मांग चल रही है।