नईदिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवम्बर की रात अचानक नोटबंदी का ऐलान कर दिया। इसका सबसे ज्यादा फायदा पेटीएम को हुआ। उसका कारोबार मात्र एक सप्ताह में 200 प्रतिशत बढ़ गया। खुलाया हुआ है कि पेटीएम चीन की सबसे बड़ी आॅनलाइन कंपनी अलीबाबा से वित्तपोषित है। अलीबाबा का पेटीएम में 40 प्रतिशत से ज्यादा शेयर है। इस तरह यह फायदा चीन की कंपनी को भी हो गया। हंगामा हुआ तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की इकाई स्वदेशी जागरण मंच इसका रिव्यू करने की बात कर रही है। बता दें कि नोटबंदी के बाद पेटीएम ने मोदी को धन्यवाद देते हुए देश के सभी अखबारों में बड़ा विज्ञापन भी जारी किया था।
नोटबंदी के सरकार के फैसले से भले ही देश के टॉप मोबाइल वॉलिट प्रोवाइडर पेटीएम को काफी फायदा हुआ हो, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आर्थिक इकाई इस फर्म के चाइनीज कनेक्शन पर नजर रख रही है। स्वेदशी जागरण मंच ने कहा है कि वह अब पेटीएम और चाइनीज ऑनलाइन रिटेल कंपनी अलीबाबा ग्रुप के रिश्तों की 'स्टडी' करेगा।
स्वेदशी जागरण मंच पिछले कई सालों से भारत में चीनी सामान और निवेश के खिलाफ अभियान चला रहा है। मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, 'हमने पेटीएम में चाइनीज हिस्सेदारी को लेकर कई खबरें देखी हैं। चूंकि अब हम कैशलेस ट्रांजैक्शंस की तरफ बढ़ रहे हैं, लिहाजा हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारतीय लोगों की तरफ से साझा किया गया डेटा सुरक्षित रहे। किसी भी भारतीय कंपनी को विदेशी कंपनियों के साथ डेटा साझा नहीं करना चाहिए और इन्वेस्टमेंट रूट को बेहद पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।'
अलीबाबा ग्रुप के ग्लोबल मैनेजिंग डायरेक्टर केगुरु गोरप्पन पिछले महीने पेटीएम के बोर्ड में अडिशनल डायरेक्टर के तौर पर शामिल हुए थे। खबर है कि नोएडा की इस ई-कॉमर्स और मोबाइल पेमेंट कंपनी में अलीबाबा और उससे जुड़ी इकाई अलीपे की 40 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी है और वह भारतीय मार्केट में ऐंट्री के लिए पेटीएम को अहम हथियार बना सकती है। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने कन्ज्यूमर मार्केट्स में शामिल है।
कुछ महीने पहले इकनॉमिक टाइम्स ने खबर दी थी कि पेटीएम 40 करोड़ डॉलर यानी तकरीबन 2,700 करोड़ रुपये जुटाने के अंतिम चरण में है और फंडिंग के इस दौर में अलीबाबा और अलीपे के भी हिस्सा लेने की संभावना है।
महाजन ने कहा, 'हम पेटीएम में चाइनीज इन्वेस्टमेंट के दायरे का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इस सिलसिले में मीडिया में छपी कुछ खबरों की सत्यता की पड़ताल कर रहे हैं।' उनका कहना था कि स्वदेशी जागरण मंच के एक्सपर्ट मेंबर्स प्राथमिकता के आधार पर पेटीएम की पड़ताल कर रहे हैं और इस कंपनी में चाइनीज हिस्सेदारी के मसले पर दिल्ली में मंच की होने वाली आगामी बैठक में चर्चा की जाएगी।
महाजन ने बताया, 'अपनी पड़ताल के आधार पर हम केंद्र सरकार से संपर्क करेंगे। मेक इन इंडिया सिर्फ सामान का मामला नहीं है। हम ई-कॉमर्स में एफडीआई की इजाजत नहीं दिए जाने के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सर्विस प्रोवाइडर्स पूरी तरह से 'भारतीय' हों।'
पेटीएम ने ईटी की तरफ से भेजी गई ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। आरएसएस की आर्थिक इकाई स्वदेशी जागरण मंच ने हाल में कुरुक्षेत्र में हुए अपने सम्मेलन में चाइनीज सामानों के खिलाफ अगले साल जनवरी से एक साल का कैंपेन चलाने का फैसला किया था।