
लोकायुक्त पुलिस ने सिकरवार के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में चालान पेश किया था। नोटिस मिलने के बाद भी सिकरवार अदालत में हाजिर नहीं हुए। मामला वर्ष 2010 का है जब वे गोविंदपुरा तहसीलदार थे। लोकायुक्त के वकील ने बताया कि सिकरवार ने उद्योग विभाग की अधिकृत भूमि का पुन मुआवजा दिलाने की फाइल को आगे बढ़ाने के लिए पचास हजार की रिश्वत मांगी थी।
मामले के अनुसार ग्राम कोलुआ में हरिकिशन की जमीन उद्योग विभाग ने अधिगृहीत की थी। शासन से पूर्व में हरिकिशन को मुआवजा मिल चुका था। हरिकिशन को फिर मुआवजा दिए जाने की फाइल को आगे बढ़ाने के लिए सिकरवार ने रिश्वत मांगी थी। इस मामले में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के तत्कालीन महाप्रबंधक रमेशचंद्र कुरील के खिलाफ जांच जारी है।