व्यापमं घोटाला | अंटोनी डिसा, रंजना चौधरी और मिसेज मिनिस्टर से पूछताछ क्यों नहीं कर रही CBI: कांग्रेस

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर व्यापमं महाघोटाले की जांच कर रही निष्पक्ष जांच एजेंसी सीबीआई से जानना चाहा है कि वह व्यापमं द्वारा आयोजित परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में स्वीकृत 198 परिवहन आरक्षकों के पद के विरूद्व किसी सक्षम प्राधीकारी की स्वीकृति लिये बगैर अवैधानिक तरीके से 332 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति किये जाने के मुख्य किरदार तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, परिवहन विभाग, मप्र शासन, एंटोनी डिसा और व्यापमं की तत्कालीन चेयरमेन रंजना चौधरी से पूछताछ करने का प्रयास क्यों नहीं कर रही है? श्री मिश्रा ने तमाम प्रमाणों के बावजूद भी वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में अपना महत्वपूर्ण किरदार निभाने वाली प्रदेश काबीना के एक वरिष्ठ मंत्री की पत्नी के विरूद्व भी कोई कार्यवाही नहीं किये जाने को नैसर्गिक न्याय सिद्वांतों के प्रतिकूल बताया है।  

श्री मिश्रा ने कहा कि व्यापमं महाघोटाले के कई मास्टर माइन्ड्स में शुमार जेल से रिहा होने के बाद सीबीआई ने दो आरोपी नितिन महिन्द्रा और सी.के. मिश्रा को गिरफ्तार कर इन दिनों रिमांड पर लिया हुआ है। वनरक्षक भर्ती परीक्षा में अवैध रूप से चयनित कमलेश नामक आरक्षक, जिसे छतरपुर से गिरफ्तार कर पांच दिनों तक अपने कब्जे में रखे जाने के बाद राजनैतिक दबाव के कारण एसटीएफ ने उसे छोड़ दिया था, जिसने एसटीएफ को बताया था कि पैसों के लेनदेन के आधार पर मेरा चयन एक मंत्री की पत्नी के माध्यम से हुआ था। यही नहीं एसटीएफ द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत आरोप पत्र (एफआईआर 30.10.2013, मेमो. 2.7.11.2013 के पेज नं. 33) में व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी और चीफ सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिन्द्रा का वक्तव्य है कि ‘‘परीक्षा के पूर्व से समय-समय पर प्रभावशाली व्यक्तियों की सिफारिशें आती रहींे तथा उन लोगांे को चयनित कराने हेतु हम पर दबाव भी बनाया गया। अत्यधिक दबाव के कारण मैंने कम्प्यूटर शाखा के प्रभारी नितिन महिन्द्रा एवं चंद्रकांत मिश्रा से चर्चा कर उन अभ्यार्थियों को पास कराने हेतु योजना तैयार करायी गयी।’’ जब इस बात के पर्याप्त सबूत त्रिवेदी और महिन्द्रा के वक्तव्यों में हैं।

श्री मिश्रा ने कहा कि आमजनों में सीबीआई की निष्पक्ष जांच एजेंसी के रूप में धारणा बनी हुई है। लिहाजा, उन रसूखदारों के नामों को जिन्होंने अवैध तरीके से नियुक्तियां कराने में सिफारिशें की थीं, उनके नाम सीबीआई जांच प्रक्रिया में शामिल किये जायें।  

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