कानपुर/पटना। कानपुर में सड़क किनारे पापा की छोटी सी दुकान है। मैगजीन और अखबार बेचा करते थे। वो भी पापा के काम में हाथ बंटाती थी। धीरे धीरे वो पापा के बराबर दुकान संभालने लगी। जब पापा नहीं होते तो खुद अखबार बेचती लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। सरकारी स्कूल ही सही, वक्त निकाला और पढ़ती रही। खाली समय में अखबार भी पढ़ती थी। इससे जनरल नॉलेज मजबूत हो गई। एक दिन किस्मत से साथ दिया और मेहनत रंग ले आई। शिवांगी का सिलेक्शन सुपर-30 में हो गया। बस फिर उसने मुड़कर नहीं देखा। वो IIT ग्रेजुएट हो गई है। एक मल्टीनेशनल कंपनी ने लाखों का पैकेज दिया है।
शिवांगी के पिता अखबार बेचते थे, जिसमें वो उनकी पूरी मदद करती थी। इसी दौरान सरकारी स्कूल से शिवांगी ने पढ़ाई जारी रखी। बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद आईआईटी में प्रवेश के लिए पहचाने जाने वाले सुपर-30 में शिवांगी का चयन हुआ और वो पढ़ने के लिए पटना आ गई। पटना आते ही शिवांगी अपने गुरु की पसंदीदा शिष्या बन गई।
रुड़की में हुआ सेलेक्शन-
सुपर-30 में पढ़ते-पढ़ते शिवांगी का चयन आईआईटी रुड़की में हो गया। शिवांगी के गुरु और सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि वो उनके परिवार की बेहद प्रिय थी। जब शिवांगी रुड़की पढ़ने जाने लगी तो उनके घर के लोग भी रोने लगे। वो सेलेक्शन के बाद आज उनके परिवार से बात करती है।
शिवांगी आईआईटी रुड़की से ग्रेजुएट हो गई है और उसकी नौकरी भी लग गई है। उसकी इस उपलब्धि से परिवार, दोस्त और गुरु सब बेहद खुश हैं।