भोपाल। क्या कोई कंपनी, ब्रांड, देश या राज्य अपने ‘LOGO’ में गलत रंगों का इस्तेमाल कर सकता है ? यह उस देश की पहचान होता है परंतु मप्र में ऐसा हुआ है और पिछले 58 साल से होता चला आ रहा है। मप्र शासन का ‘LOGO’ सुर्ख लाल रंग का है परंतु अलग अलग विभागों ने अपनी अपनी इच्छा के अनुसार इसे रंग देखा रखा है। वनविभाग में हरा तो सरकारी प्रेस में मेहरून। कहीं सुनहरा तो कहीं काला।
मंत्रालय में पहुंची एक साधारण शिकायत में यह बात सामने आई है, जिसके बाद खोजबीन शुरू तो 58 साल पुराने आदेश को ढूंढा गया। इस आदेश में लिखा था कि मप्र सरकार के ‘LOGO’ सिर्फ लाल रंग का ही इस्तेमाल होना चाहिए। आदेश मिलने के बाद अब इस बात की माथापच्ची चल रही है कि अलग-अलग रंगों के उपयोग को जारी रखा जाए या निर्देश निकाला जाए कि अब सभी विभाग व सरकारी प्रेस लाल रंग का ही इस्तेमाल करें।
सामान्य प्रशासन विभाग इसकी कवायद में जुटा है। इस समय सरकारी प्रेस मरून लाल रंग के साथ मटमैले पीले रंग (सोने की भस्म जैसा) का इस्तेमाल ‘LOGO’ बनाने में कर रहा है। बताया जा रहा है कि 1958 में ‘LOGO’ के संबंध में निकले आदेश के मिलने के बाद यह भी तलाशा गया कि बीच में कब रंग बदले, लेकिन उसकी जानकारी नहीं मिली। एक नवंबर 1956 को मप्र के गठन के दो साल बाद मप्र सरकार की पहचान बताने वाला ‘LOGO’ (चिन्ह) पहली बार 1958 में अस्तित्व में आया था।