उपदेश अवस्थी/लावारिस शहर। कहते हैं भारत में लोकतंत्र हैं, यहां संविधान का शासन है। हर गुनाह के लिए कानून है और नियम विरुद्ध काम करने पर सजाएं दी जातीं हैं परंतु NDTV इंडिया के मामले में यह समझ नहीं आ रहा है कि किस नियम, किस कानून के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। मैं कहता हूं, NDTV इंडिया को हमेशा के लिए बंद कर दो लेकिन उसका कोई आधार भी तो हाना चाहिए।
सवाल यह नहीं है कि क्या सही था और क्या गलत। NDTV इंडिया ने जो दिखाया वो उचित था या अनुचित। सवाल सिर्फ यह है कि कार्रवाई की भी कोई प्रक्रिया होती है। भारत में न्याय संस्थान इसी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए बनाए गए हैं। ये क्या बात हुई कि आपको लगता है कि कवरेज अनुचित था, आपके हाथ में डंडा है इसलिए आपने चला दिया। इसे लोकतंत्र तो नहीं कहा जा सकता।
बेहतर होता मोदी सरकार इस मामले में NDTV इंडिया के खिलाफ माननीय न्यायालय में जाती। न्यायाधीशों के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत करती। पहले भी ऐसा हुआ है। भारत में सिर्फ न्यायालयों को अधिकार है कि वो सजा निर्धारित करें। फिर वो सजा 1 दिन प्रसारण रोकने की हो या हमेशा के लिए चैनल बंद कर देने की। इसे कैसे स्वीकार कर लें कि सत्ता में बैठे कुछ व्यक्तियों को लगा कि अपराध हुआ है और सोशल मीडिया के स्वघोषित बिना डिग्री वाले वकीलों ने दलीलें पेश की। सरकार ने सजा मुकर्रर कर दी।