भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा से जुड़े मीसाबंदी नेता सुशील वासवानी के बैंक में करोड़ों के कालेधन का कारोबार हुआ। मोदी ने कालाधन के खिलाफ नोटबंदी का ऐलान किया तो वासवानी ने काले कारोबारियों की दिल खोलकर मदद की। काबिल ए गौर तो यह है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने इस मसले पर अभी तक 2 शब्द भी नहीं कहे हैं। वासवानी आज भी भाजपा के पूज्य मीसाबंदी नेता हैं।
आयकर विभाग की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि सुशील वासवानी के बैरागढ़ स्थित महानगर सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद पांच दिनों में 100 खाते खोले गए। इनमें करीब दो दर्जन बैंक खाते ऐसे हैं, जिनमें एक करोड़ से ज्यादा की राशि जमा की गई।
आशंका जताई जा रही है कि नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर बैंक के जरिए कालेधन को सफेद किया गया. जांच में शामिल अफसर यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि बैंक के जरिए 500 और 1000 रुपए के कितने पुराने नोट एक्सचेंज किए गए।
सहकारी बैंकों के जरिए 10 से 15 नवंबर के बीच पुराने नोट बदले जा रहे थे. इसके बाद रिजर्व बैंक ने शिकायतें मिलने पर सहकारी बैंकों से नोट बदलने पर रोक लगा दी थी.
मंगलवार सुबह से जारी कार्रवाई
आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वासवानी के बैरागढ़ क्षेत्र में स्थित आवास के अलावा होटल व महानगर सहकारी बैंक पर एक साथ मंगलवार की सुबह दबिश दी गई थी. मंगलवार को शुरू हुई कार्रवाई अभी भी जारी है.
आयकर विभाग की दबिश में भाजपा नेता के पास आय से कई गुना संपत्ति मिलने की बात कही जा रही है. वहीं उनके सहकारी बैंक में बड़े पैमाने पर पुराने नोटों को जमा करने के अलावा पुराने से नए नोटों को बदलने के कारोबार में भी शामिल होने का शक है. आयकर विभाग इसकी भी जांच कर रही है.
भाजपा और संघ के बड़े नेताओं से करीबी रिश्ता
आयकर विभाग की दबिश में वासवानी के भाजपा व संघ के कई नेताओं से करीबी रिश्ते होने का खुलासा होने के साथ दो होटल, कई मकान, भूखंड आदि का पता चला है. वहीं, बैंक लॉकर से सोने व चांदी के जेवरात भी बड़ी मात्रा में मिले हैं.