
दरअसल, 2013 से 2014 के बीच आयकर विभाग ने बिड़ला और सहारा ग्रुप पर छापे मारे थे। इन छापेमारी में कई अहम फाइलें बरामद हुई थीं। मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने इन फाइलों की जांच की मांग की थी। ये फाइले अब सुप्रीम कोर्ट में जमा हैं।
हस्तलिखित पेजों में 2010 में किए गए भुगतान का जिक्र है। इस डायरी में पांच पेज ऐसे भी हैं जिसमें 2013 और 2014 के बीच प्राप्त हुए पैसे की जानकारी सारणीबद्ध की गई है। हालांकि विशेष जांच दल (एसआईटी) के अधिकारियों का कहना है कि डायरी के पन्ने और इसकी एंट्री नकली भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि साहारा के एक अधिकारी ने अपने बयान में भी कहा कि उसने यह एंट्री दूसरी कंपनियों के अधिकारियों को झांसे में लेने के लिए की थी।