दिग्विजय सिंह के अवैध फैसले का पालन कराने 11 साल से कोशिश कर रही है भाजपा सरकार

भोपाल। मप्र की दिग्विजय सिंह सरकार ने मप्र सड़क परिवहन निगम बंद करने का फैसला किया और 11 साल पहले भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया। केंद्र शासन से पूछे बगैर जनता से ट्रांसपोर्ट सुविधा छीन ली गई। इसे लेकर अब मप्र सरकार कानूनी पेंच में फंस गई है, क्योंकि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्य को 'मप्र सड़क परिवहन निगम' (सपनि) बंद करने की इजाजत नहीं दे रहा है। सरकार ने पांचवीं बार प्रयास किया था, वह भी फेल हो गया है। अब सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जनहित याचिका लगाई जा रही है।

सरकार ने लगातार घाटा दिखाकर जनवरी 2005 में सपनि बंद कर दिया और प्रदेश में सरकारी यात्री परिवहन सेवा ठप हो गई। जिससे प्रदेश में निजी बस ऑपरेटरों को मौका मिल गया। प्रदेश में इतना सबकुछ केंद्रीय श्रम मंत्रालय और भू-तल परिवहन मंत्रालय की अनुमति के बगैर हुआ।सरकार तभी से सपनि बंद करने की इजाजत मांग रही है। श्रम मंत्रालय में पांचवीं बार लगा आवेदन 27 अक्टूबर को अमान्य हो चुका है। उल्लेखनीय है कि सपनि बंद करने की घोषणा के बाद 16,334 कर्मचारियों में से ज्यादातर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। वर्तमान में सिर्फ 425 कर्मचारी कार्यरत हैं।

क्या कहता है नियम
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत किसी भी राज्य सरकार को सड़क परिवहन सेवा बंद करने का अधिकार नहीं है। इसके लिए सरकार को पहले केंद्रीय श्रम और भू-तल परिवहन मंत्रालय से इजाजत लेना पड़ती है। क्योंकि सपनि में 29.5 फीसदी भागीदारी केंद्र सरकार की है। इस नियम में यह भी प्रावधान है कि एक बार सपनि बंद करने का आवेदन निरस्त होने के बाद दोबारा एक साल बाद ही लगाया जा सकता है।

निगम की संपत्ति संभाल रहे कर्मचारी
वर्तमान में सपनि में 425 कर्मचारी हैं, जो सपनि की संपत्ति संभाल रहे हैं। इनमें से 170 कर्मचारी विभिन्न् विभागों मेें प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन विभागों में सपनि कर्मचारियों से संबंधित 6500 से ज्यादा प्रकरण लंबित हैं। जिनमें अक्सर न्यायालय में जवाब देना पड़ता है। जबकि कुछ कर्मचारी भविष्य निधि से संबंधित काम देख रहे हैं।

याचिका लगाने की तैयारी
जनता की सुविधा अचानक बंद करने पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्ण मोदी हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। सड़क परिवहन अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि पाथाखेड़ा निवासी मोदी ने वकील से इस विषय पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।

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