संसद के शीतकालीन सत्र की प्रोडक्टिविटी: लोकसभा 17.39% राज्यसभा 20.61%

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र, 2016, जो बुधवार, 16 नवंबर, 2016 को आरंभ हुआ था, शुक्रवार, 16  दिसंबर, 2016 को समाप्त हो गया।  सत्र के दौरान 31 दिनों की अवधि में कुल 21 बैठकें हुईं। सत्र के दौरान, 10 विधेयक (सभी लोक सभा में) पुर:स्थापित किए गए।  सत्र के दौरान लोक सभा ने 4 विधेयक और राज्य सभा ने 1 विधेयक पारित किया। सत्र के दौरान लोक सभा में किए गए कार्य की उत्पादिता 17.39% और राज्य सभा की 20.61% रही।

एक विधेयक अर्थात, कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित माना गया।  दो और विधेयक अर्थात विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2016 और विनियोग (संख्या 5) विधेयक, 2016, जिस रूप में लोक सभा द्वारा पारित किए गए थे और राज्य सभा को उसकी सिफारिश के लिए भेजे गए थे, राज्य सभा में उनकी प्राप्ति की तारीख से चौदह दिनों की अवधि के भीतर उनके लोक सभा को लौटाए जाने की संभावना नहीं है। 

संविधान के अनुच्छेद 109 के खंड (5) के अंतर्गत इन विधेयकों को उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात दिनांक 23.12.2016 को दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित किया गया माना जाएगा जिस रूप में उन्हें लोक सभा द्वारा पारित किया गया था।  नि:शक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक, 2016 को भी संसद के सदनों द्वारा पारित किया गया है।  सत्र के दौरान पुर:स्थापित किए गए, विचार और पारित किए गए विधेयकों के नामों की सूची परिशिष्ट के रूप में संलग्न है।

सत्र के दौरान, लोक सभा द्वारा वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों (सामान्य) तथा वर्ष 2013-14 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों (सामान्य) और इनसे संबंधित विनियोग विधेयकों पर चर्चा की गई और उन्हें पारित किया गया। लोक सभा में वाणिज्य पोत परिवहन (संशोधन) विधेयक, 2015 को वापस लिया गया।

लोक सभा में नियम 193 के अंतर्गत श्री ए.पी. जितेन्द्र रेड्डी द्वारा “काले धन को समाप्त करने के लिए नोटों का विमुद्रीकरण” पर दिनांक 05.12.2016 को चर्चा आरंभ की गई थी और वह पूरी नहीं हो सकी।  राज्य सभा में नियम 267 के अंतर्गत नोटिस के तहत “विमुद्रीकरण” पर चर्चा हुई थी जो अधूरी रह गई। सत्र के दौरान लोक सभा में किए गए कार्य की उत्पादिता 17.39% और राज्य सभा की 20.61% रही।

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