पटना। क्या आप भरोसा कर सकते हैं कि एक लड़का जो 20 साल पहले घर-घर जाकर लकड़ी बेचता था, आज 2 बैंक, 3 स्कूल और 200 करोड़ की संपत्ति का मालिक हो सकता है। जमशेदपुर में आयकर विभाग ने जब हरेराम सिंह के यहां छापा मारा तो अकूत संपत्ति की डीटेल्स देखकर अफसर भी चौंक गए। 100 करोड़ की संपत्ति की गणना कर ली गई है। कार्रवाई जारी है। उम्मीद की जा रही है कि यह आंकड़ा 200 करोड़ पर जाकर रुकेगा।
सूत्रों के अनुसार, करीब 20 साल पहले हरेराम जंगल से लकड़ी बीन कर जमशेदपुर में बेचता था। वह घर-घर जाकर ये काम करता था। इसके बाद उसने आरा मिल में लकड़ी बेचना शुरू कर दिया। एक आरा मशीन ऑपरेटर्स के यहां नौकरी भी की। कुछ महीने बाद हरेराम सिंह ने किराए की आरा मशीन को लेकर अपना खुद का कारोबार शुरु कर दिया। बस, इसी के बाद से उसके दिन फिर गए और वह करीब 200 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी का मालिक बन गया। हरेराम 3 बड़े स्कूल, 2 को-ऑपरेटिव बैंक, एक आरा मशीन, एक मॉल समेत कई बेनामी संपत्ति का मालिक है। कई पुलिस थानों और वन विभाग में उसके ऊपर केस दर्ज हैं। उस पर अपनी बहू को टॉर्चर करने का भी आरोप है।
सभी ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई
आईटी टीम बीते शुक्रवार को हरेराम के साकची और मानगो में जमशेदपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक की ब्रांचेज, भुइयांडीह गोलमुरी में घर, दफ्तर, लकड़ी टाल के साथ ही उसके 3 स्कूलों में एक साथ जांच शुरू की थी। हरेराम के भुइयांडीह पटेलनगर में डीएवी पब्लिक स्कूल, आदित्यपुर में सेंट्रल पब्लिक स्कूल और छोटा गोविंदपुर में विग स्कूल है। यहां भी जांच की गई।
बैंक में कालेधन की छानबीन
आईटी टीम इस बात का पता कर रही है रिजर्व बैंक से जमशेदपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक को कितने नए नोट मुहैया कराए गए। नोटों को जमा करने और बदलने में रिजर्व बैंक की गाइडलाइन का पालन किया गया या नहीं? आईटी अफसरों के मुताबिक 8 नवंबर की रात नोटबंदी के बाद हरेराम सिंह के दोनों बैंकों में बड़े पैमाने पर रुपए जमा किए गए, जो कालाधन है।
विवादों में रहा है बैंक
हरेराम का जमशेदपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक विवादों में रहा है। इसकी एक ब्रांच साकची के काशीडीह दूसरी मानगो में है। 2010 में को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट की जांच में बैंक में अनियमितताएं सामने आई थीं। तब लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई शुरू हुई थी, लेकिन मामला दबा दिया गया। जानकारों के अनुसार मामला रफा-दफा करने के लिए हरेराम ने को-ऑपरेटिव डिपार्टमेंट के उस वक्त के मुखिया को साकची चंद्रा टावर में फ्लैट दिया था।
स्कूलों में बेनामी संपत्ति लगाने का आरोप
आईटी अफसरों के अनुसार हरेराम की फैमिली ने अपने तीनों स्कूलों में बेनामी संपत्ति का इन्वेस्टमेंट किया है। स्कूलों में इन्वेस्ट रकम का ब्योरा आईटी डिपार्टमेंट को नहीं दिया गया है। हालांकि, इसका रिटर्न दाखिल किया जा रहा था। हरेराम सिंह, उसके बेटे हरीश सिंह ने चंद्रा एजुकेशनल फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर एजुकेशन की अवेयरनेस के लिए डिपार्टमेंट से टैक्स में छूट ले रखी थी। टीम ने जांच में पाया कि पिता-पुत्र स्कूलों कॉमर्शियली ऑपरेट कर रहे हैं। डिपार्टमेंट ने चंद्रा एजुकेशनल फाउंडेशन की आयकर छूट खत्म करने का फैसला किया है।
मॉल में किसका और कितना पैसा?
हरेराम गोलमुरी में आकाशदीप प्लाजा के पास बन रहे अपने चंद्रा पैसिफिक मॉल में कहां से और कितनी रकम लगा रहा है, इसकी जानकारी आईटी टीम को अब तक नहीं मिली है। ऐसे में अफसरों का मानना है कि मॉल में भी बेनामी संपत्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है। आईटी टीम यह भी पता लगाने में जुटी है कि पिता-पुत्र के रियल स्टेट के कारोबार में किसने-किसने इन्वेस्टमेंट किया। डिपार्टमेंट ईडी से इसकी जांच की अपील करेगा।
ये है प्रॉपर्टी
जमशेदपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक की साकची और मानगो में ब्रांच। भुइयांडीह में 4 मकान। साकची, मानगो, गोलमुरी नामदा बस्ती में फ्लैट। बलिया (यूपी) में भी एक मकान। भुइयांडीह, गोलमुरी में ऑफिस 1 आरा मशीन (लकड़ी टाल) शहर में। नेपाल में कारोबार। 3 स्कूल : डीएवी पटेलनगर, सेंट्रल पब्लिक स्कूल आदित्यपुर और छोटा गोविंदपुर विग स्कूल।