भोपाल। अगर मोदी सरकार पर ये आरोप लग रहा है कि नोटबंदी के चलते उनकी तमाम योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गयी है। तो कई मायनों में ये आरोप सटीक भी बैठते हैं। क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही जिस योजना की सबसे पहली घोषणा की थी। वो योजना एक तरह से ठंडे बस्ते में चली गयी है।
जी हां हम बात कर रहे हैं सांसद आदर्श ग्राम योजना। इस योजना के मध्यप्रदेश में हाल देखेंगे तो आप खुद समझ जाएंगे कि प्रधानमंत्री मोदी की योजना को लेकर सांसदों में कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही सांसद गांवों का आदर्श बनाने में रूचि रखते हैं।
दरअसल सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सभी सांसदों को हर साल एक गांव गोद लेकर विकास कार्य करने थे। इस तरह से पांच साल में एक सांसद पांच गांवों का आदर्श बनाना था। मध्यप्रदेश के सांसदों ने पहले कार्यकाल में तो एक-एक गांव का चयन कर लिया, लेकिन दूसरी साल में मध्यप्रदेश के 29 सांसदों में से 23 सांसदों ने तो अभी तक गांव गोद नहीं लिया और पूरा साल बीत गया।
सिर्फ 6 सांसदों ने किया गांव का चयन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार ग्रहण करते ही अक्टूबर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी और इस योजना का जोर शोर से ढिंढोरा पीटा गया था। मध्यप्रदेश में 29 सांसदों ने पहले साल में तो गांव गोद लिया और कुछ विकास कार्य भी किए, लेकिन मौजूदा साल में सिर्फ 6 सांसदों ने गांव को आदर्श बनाने के लिए गांव का चयन किया, बाकी 23 सांसदों ने अपने संसदीय क्षेत्र में कोई भी गांव गोद नहीं लिया है। राज्य शासन ने हाल ही में केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है। उससे साफ हुआ है कि 23 सांसदों ने दूसरे साल में न तो गांव के चयन में रूचि दिखाई और न ही गांव के विकास में।
केंद्र सरकार की बेबसाइट http://www.saanjhi.gov.in/ पर दूसरे चरण के लिए जारी की गयी रिपोर्ट से साफ है कि पहले चरण की अपेक्षा मध्यप्रदेश के सांसदों ने दूसरे चरण में सांसद आदर्श ग्राम योजना में रूचि नहीं दिखायी है। मध्यप्रदेश के 29 सांसदों में से 23 सांसदों ने इस रिपोर्ट के अनुसार अभी तक गांवों का चयन नहीं किया है। वहीं राज्यसभा के 11 सांसदों में चार सांसदों ने ही इस साल आदर्श गांव बनाने के लिए गांव का चयन किया है।
योजना के तहत तय किया गया था कि हर साल के योजना के तहत वे एक गांव का चयन करेंगे। जिसमें तीन से पांच हजार की आबादी वाले ग्राम पंचायत तथा आदिवासी क्षेत्र में एक से तीन हजार की आबादी वाले ग्राम पंचायत के एक गांव को आदर्श बनायेंगे। इन गांवों में सड़क, स्कूल, शुद्ध पेयजल, शतप्रतिशत टीकाकरण, शत प्रतिशत बच्चों का स्कूल जाना, विद्युतीकरण, खुले में शौचमुक्त बनाना, पेंशन व्यवस्था और मिड-डे मील की व्यवस्थाएं सुधारना है।
दूसरे चरण में ये है गांव चयन की स्थिति
मध्यप्रदेश में सांसद आदर्श ग्राम योजना की स्थिति का आकलन करें तो भाजपा सांसद अनूप मिश्रा मुरैना, रोडमल नागर राजगढ़, रीति पाठक सीधी, सुषमा स्वराज विदिशा, नरेन्द्र सिंह तोमर ग्वालियर और मनोहर ऊंटवाल देवास ने दूसरे चरण के गांव का चयन किया है। इनके अलावा 23 सांसदों ने गांव गोद नहीं लिया।