शिवराज की साइकिल वितरण योजना रोकी गई, 25000 यूनिट का घोटाला

भोपाल। शिवराज सरकार ने इस बार स्कूलों में चलाई जा रही साइकिल वितरण योजना का केंद्रीयकरण कर दिया था ताकि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार को रोका जा सके, बावजूद इसके 25000 यूनिटों का घोटाला हो गया। अब जांच शुरू और योजना बंद कर दी गई है। मामले में मुख्यालय के अधिकारियों की मिली भगत के भी समाचार मिल रहे हैं। 

दरअसल इस योजना में स्कूलों के प्रिसिंपल और स्टॉफ ने मिलीभगत कर बच्चे के नाम पर साइकिल की राशि मांग ली। उनमें वो बच्चे शामिल थे, जो इस योजना के लिए पात्र ही नहीं थे। राज्य सरकार की जांच में सामने आया है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों के प्रिसिंपल ने करीब 25 हजार अपात्र बच्चों के नाम पर राशि निकाली है। गड़बड़ी सामने आने के बाद सरकार ने योजना के तहत साइकिल वितरण पर रोक लगा दी है। अब मामले की जिला वार जांच की जा रही है।   

गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग की योजना के तहत छठवीं में प्रवेश लेने वाले बच्चों को राज्य सरकार साइकिल देती है। लेकिन इस बार अपात्र बच्चों के नाम पर राशि निकाली गयी। जिसके बाद इस योजना पर रोक लगा दी गयी। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के डीपीसी (जिला परियोजना समन्वयक) और डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी ) के संयुक्त हस्ताक्षर कर नए सिरे से साइकिल की मांग को प्रमाणित करने के लिए कहा है।

वहीं शुक्रवार से स्कूल शिक्षा विभाग ने साइकिल और पात्र बच्चों की जांच के लिए संभागवार बैठक भोपाल में बुलाकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। 

वहीं इस मामले में स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी का कहना है कि साइकिल वितरण योजना में गड़बड़ी के कारण फिलहाल योजना पर रोक लगा दी गयी है। जल्द ही जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही योजना को नए सिरे से लागू किया जाएगा।

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