
आदिम जाति कल्याण सचिव पद से रिटायर हुए 1997 बैच के आईएएस अधिकारी विनोद सिंह बघेल की पेंशन और जीपीएफ एक छोटी सी गलती के कारण अटक गई। 2007 में नीमच के एडिशनल कलेक्टर रहते बघेल को इंक्रीमेंट मिला। इसके बाद उनका वेतन 45 हजार 20 रुपए होना चाहिए था, लेकिन यह लिखते समय 45 हजार 30 रुपए हो गया। किसी ने ध्यान नहीं दिया। सितंबर में वे रिटायर हुए और पेंशन के साथ जीपीएफ को लेकर फाइल दौड़ी तो यह रिकवरी निकल आई। यह राशि एक हजार रुपए के करीब है।
मामला पूर्व आईएएस अधिकारी का है तो सामान्य प्रशासन विभाग भी हरकत में है कि जल्द से जल्द पेंशन और जीपीएफ जारी हो जाए। बघेल इस सिलसिले में शुक्रवार को मंत्रालय भी पहुंचे और विभाग के अधिकारियों से बात की। पहले ही उनकी पेंशन और जीपीएफ में देरी हो चुकी है, इस गड़बड़ी के कारण तीन से चार माह की देरी और हो जाएगी।
आयोग के पेंच में उलझी
बघेल के साथ-साथ दो और पूर्व आईएएस अफसरों आरके माथुर और केसी जैन की पेंशन तो और भी उलझन में है। दरअसल सातवां वेतनमान लागू होने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले आईएएस अधिकारियों से नए फार्मेट में ऑप्शन देकर पूछा गया था कि वे छठवें वेतनमान से पेंशन की गणना कराना चाहते हैं या सातवें से।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार इन दोनों ने कोई ऑप्शन नहीं भरा तो सामान्य प्रशासन विभाग ने गणना छठवें से कर दी। अब फिर इनकी पेंशन फाइल रिवाइज हो रही है। माथुर सागर कमिश्नर पद से रिटायर हुए थे। इस समय मुख्यमंत्री के ओएसडी हैं। जैन उज्जैन के एडिशनल कमिश्नर पद से रिटायर हुए थे।