
दूतावास किए गए बंद
रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने बजाया कि वह राजनयिकों को देश से निकालने की मंजूरी का आदेश राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन को मंजूरी के लिए भेज रहे हैं। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि तुरंत प्रभाव से मॉस्को स्थित अमेरिकी हक वाले दूतावास कंट्री हाउस और वेयर हाउस को भी बंद कर दिया गया। लवारोव ने कहा, देश से निकाले जा रहे अमेरिकी राजनयिकों में से 31 मॉस्को में अमेरिकी दूतावास में काम कर रहे हैं, जबकि चार राजनयिक सेंट पीटरस्बर्ग में अमेरिकी दूतावास में हैं।
अभी तक यह साफ नहीं है कि पुतिन ने इस फैसले को मंजूरी दी है या नहीं। रूस ने प्रतिबंधों के बाद अमेरिका पर हमला बोलने के अंदाज में कल्चरल प्रोग्राम आयोजित करने वाले और इंग्लिश पढ़ाने वाले 28 अमेरिकी इंस्टीट्यूट्स को तुरंत बंद करने का आदेश दिया है। इस पर अमेरिका ने कहा है कि यह साफतौर पर कूटनीतिक रिश्तों पर हमला है। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने दो रशियन इंटेलीजेंस एजेंसियों जीआरयू और एफसबी पर बैन लगाया है। साथ ही जीआरयू की मदद करने वाली कंपनियों को भी बैन कर दिया है। पढ़ें- जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने की अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन की जासूसी
वर्ष 2001 में भी हुआ था ऐसा
रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस और राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन पर आरोप लगाया था कि रूस की एजेंसियों ने ट्रंप को व्हाइट हाउस पहुंचाने के लिए चुनावों में हैकिंग की थी। अमेरिका और रूस का एक दूसरे के राजनयिकों को देश से निकालना पहली घटना नहीं है। इससे पहले वर्ष 2001 में उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी जासूसी के आरोप में 51 रूसी राजनयिकों को निकाल दिया था। इसके जवाब में रूस ने भी 50 अमेरिकी राजनयिकों को देश से निकाल दिया था।