अरविंद पांडेय/नई दिल्ली। मोदी सरकार ने प्रमाणित कर दिया है कि मप्र की शिक्षा व्यवस्था देश की सबसे लचर शिक्षा व्यवस्था है। यहां 4837 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। वर्षों से यहां शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई है। सरकार बार बार भर्ती परीक्षा का ऐलान करती है और फिर रद्द कर देती है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जल्द पद भरने को कहा है। रिपोर्ट संसद में पेश की गई।
मंत्रालय ने देश में बगैर शिक्षकों के संचालित हो रहे सरकारी स्कूलों को लेकर यूनिफाइड डिस्ट्रिक्स इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) से रिपोर्ट तैयार करवाई है। यूडीआईएसई ने वर्ष 2015-16 को लेकर जो रिपोर्ट दी है, उसके तहत मप्र में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूल शिक्षक विहीन हैं।
इनमें ज्यादातर स्कूल प्राथमिक स्तर के हैं। तेलंगाना के 1944 , आंध्रप्रदेश के 1339, छत्तीसगढ़ के 385 और उत्तरप्रदेश के 393 स्कूलों की ऐसी ही स्थिति है। मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने संसद में लिखित में कहा है कि राज्यों को बार-बार पद भरने को कहा गया, लेकिन अब भी स्थिति चिंताजनक है। मप्र में लगातार बढ़ रही संख्या रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में ऐसे स्कूलों की संख्या पिछले कई सालों से लगातार बढ़ रही है। इससे साफ है कि राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
देशभर में तीन लाख से ज्यादा पद खाली
रिपोर्ट के मुताबिक देश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों के 19.48 लाख पद सृजित किए गए हैं, लेकिन 31 मार्च 2016 की स्थिति में 15.74 लाख शिक्षकों के ही पद भरे जा सके हैं। ऐसे में अभी भी करीब 3.74 लाख शिक्षकों के पद भरे जाने हैं।