सतना। पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ने अपने सर्किट हाउस का किराया 5स्टार होटल से भी ज्यादा कर दिया है। सरकारी बंगला ना मिलने के कारण करीब 6 माह सर्किट हाउस में रहे सीईओ जिला पंचायत संदीप शर्मा ने 10 लाख रुपए किराया मांगा गया है। किराए की रकम देखकर हर काई सवाल कर रहा है। बता दें कि सर्किट हाउस मप्र में सरकारी अधिकारियों के लिए वैकल्पिक निवास के तौर पर उपलब्ध कराए जाते हैं। मजेदार यह है कि जब तक सीईओ संदीप शर्मा सर्किट हाउस में रहे, उन्हे एक भी नोटिस नहीं दिया गया और ना ही किराया बताया गया।
लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री आरजी शाक्य ने सोमवार को एक पत्र जारी कर तत्कालीन सीईओ संदीप शर्मा से कहा है कि आपके द्वारा 9 दिसम्बर 2015 से 29 जुलाई तक सर्किट हाउस के कक्ष क्रमांक बी-4 का उपयोग किया गया है। कमरे का इस अवधि का किराया 10 लाख 10 हजार 224 रुपए होता है।
शाक्य ने जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से भेजे पत्र में शर्मा से यह राशि डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से जमा कराने की मांग की है। कार्यपालन यंत्री के इस पत्र के बाद प्रशासनिक हल्के में खलबली मची है। वहीं दूसरी ओर सीईओ के शाही खर्च पर सवाल भी उठाए जा रहे।
एक दिन का खर्च 4354 रुपए
जिला पंचायत सीईओ रहने के दौरान संदीप शर्मा 232 दिन सर्किट हाउस में रुके। इस अवधि का जो किराया गणना के आधार पर वसूलने के लिए नोटिस भेजा गया है, उससे पता चलता है कि एक दिन का एक कमरे का खर्च 4354 रुपए है। हालांकि तत्कालीन सीईओ शर्मा ने अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है पर सूत्रों का कहना है कि छह माह तक सीईओ का बंगला खाली कराकर नहीं दिए जाने के चलते शर्मा को उसमें रहना पड़ा था।
नोटिस पर भी सवाल
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस नोटिस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कार्यपालन यंत्री की इस कार्यवाही को लेकर कहा जा रहा है कि बदले की भावना से नोटिस दिया गया है। इसके पहले कई अधिकारी यहां साल भर तक कमरों में कब्जा जमाए रहे पर उन्हें नोटिस नहीं दिया गया। सीबीआई ने भी एक साल तक कमरा अपने कब्जे में रखा था। पुलिस के अधिकारी भी सर्किट हाउस में लंबे समय से जमे हैं पर किसी से कोई वसूली नहीं की गई।