विवेक शुक्ला/नई दिल्ली। दिसंबर महीने की शुरुआत में ही बैंकों के सामने नई चुनौती कर्मचारियों-नौकरीपेशा लोगों को सैलरी बांटने की है। कैश की सप्लाई में जबरदस्त शॉर्टेज के मद्देनजर बैंकों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर लोगों की जायज डिमांड कैसे पूरी की जाए। ऐसे में ये खबर बैंकों और आमजनों, दोनों के लिए एक तरह से राहत भरी हो सकती है। रिजर्व बैंक से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगले एक हफ्ते तक में यानी 7 दिसंबर तक रिजर्व बैंक ने कैश सप्लाई सामान्य कर देने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए 500 रुपये के नोट आरबीआई ज्यादा छापेगी। आपको बता दें कि पहले ही बैंक दो तिहाई से ज्यादा एटीएम कैलीब्रेट कर चुके हैं।
एटीएम के बाहर नहीं कम हो रही कतार
सच ये है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के तमाम दावों के बाद भी बैंकों और एटीएम के बाहर कतार कम होने का नाम नहीं ले रही। बैंकों के बाहर कतार में लगे में लोग बताते हैं कि सुबह से लाइन में लगने के बाद बैंक के कर्मचारी 10 बजे टोकन बांट देते हैं। अमूमन 100 लोगों को टोकन मिलता है, लेकिन प्रतिदिन इन 100 लोगों को भी कैश मिलने की गारंटी नहीं होती।
नोएडा के नया बांस के सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच में हम एक बुजुर्ग से मिले जिन्हें अपनी पोती का ऑपरेशन कराना है और वो पिछले तीन बार से कैश के लिए बैंक के चक्कर काट रहे हैं। बैंक मैनेजर से बात करने पर उन्होंने भी महज तकलीफ ही जाहिर की और कहा कि हमें कैश पीछे से मिले तो हम आगे दें। कुल मिलाकर कैश क्रंच और नोटबंदी समाज के एक तबके के लिए विशियस साइकल यानी दुष्चक्र से कम साबित नहीं हो रही।
20 लाख में किसको क्या बांटें
इन दिनों बैंकों के हालात ये हैं कि जिन बैंकों में कैश है वहां सर्वर डाउन का बोर्ड लगा है और जहां सर्वर दुरुस्त है वहां कैश गायब है। जहां तक नियमों के सवाल है तो नियम के मुताबिक लोग अपने खाते से हर हफ्ते 24 हजार तक निकाल सकते हैं, लेकिन बैंक से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शहरी इलाकों में भी ज्यादातर बैंक की शाखाओं में बीस लाख प्रतिदिन से ज्यादा नहीं पहुंच रहे। ऐसे में बैंक क्या तो जरूरतमंद लोगों को कैश बांटें और क्या नौकरीपेशा की सैलरी।