भोपाल। टिम्बर कारोबारी से 55 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में जांच अधिकारी ने आईएफएस अफसर अजीत श्रीवास्तव को दोषी पाया है। जांच कमेटी ने छह माह पहले यह रिपोर्ट शासन को भेजी है, जो अब वनमंत्री को भेजी जा रही है। वहीं शासन ने लोकायुक्त पुलिस को आईएफएस बीके सिंह के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है। वे बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे हैं। वहीं 11 मामलों में 9 आईएएफ अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है।
मुख्य वनसंरक्षक अजीत श्रीवास्तव का 8 दिसंबर-15 को ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें वे जबलपुर के टिम्बर कारोबारी अशोक रंगा से एक मामले में कार्रवाई न करने के बदले 50 लाख रुपए की मांग कर रहे थे। मामले की जांच तत्कालीन एसीएस गृह विभाग बीपी सिंह की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने की थी। जिसमें पीसीसीएफ जितेंद्र अग्रवाल भी थे।
इस जांच में श्रीवास्तव दोषी पाए गए हैं। वन विभाग के एसीएस दीपक खांडेकर ने इसकी पुष्टि की है। ऑडियो वायरल होने के बाद शासन ने सीसीएफ श्रीवास्तव को पद से हटा दिया था। उधर, लोकायुक्त पुलिस ने फरवरी 2013 में उज्जैन के तत्कालीन सीसीएफ बीके सिंह के घर छापा मारा था। जिसमें बेनामी संपत्ति मिली थी। लोकायुक्त पुलिस ने राज्य सरकार से सिंह के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी थी, जो दे दी गई है। अब लोकायुक्त उनके खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश करेगी।
बचने की संभावना कम
रिश्वत मांगने के मामले में सीसीएफ अजीत श्रीवास्तव के बचने की संभावना कम दिखाई दे रही है। दरअसल, उनके मामले की जांच गृह विभाग के तत्कालीन एसीएस बीपी सिंह ने की थी, जो अब प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। यानी मुख्य सचिव के स्तर से श्रीवास्तव को राहत की गुंजाइश कम है।