भोपाल। वरिष्ठ आईएएस राधेश्याम जुलानिया को शायद किसी तांत्रिक ने यह टोटका बताया है कि वो जब तक अपने आसपास लोगों से विवाद करते रहेगे, तरक्की करते रहेंगे या फिर वो मप्र के सबसे ज्यादा विवाद करने वाले आईएएस का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। रमेश थेटे के टंटे में उलझे जुलानिया इन दिनों प्रमुख सचिव नीलम शमी राव से विवाद के कारण चर्चा में हैं। हालात यह हो गए कि इस विवाद के कारण विभाग के सारे काम ठप हो गए हैं। जुलानिया पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं और नीलम राव प्रमुख सचिव। जुलानिया के जुल्म से बचने के लिए जिलों में सीईओ भी काम नहीं कर रहे हैं। कुल 7 लाख काम ठप पड़े हुए हैं। क्षेत्रीय विधायक भी काम रुकने से नाराज हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें नहीं बनीं
500 से कम जनसंख्या वाले ग्रामों को गिट्टी-मुरम की सड़क बनाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की गई है। यह योजना सीएम की प्राथमिकता पर है। पोहरी विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2009 से 2016 के बीच कुल 55 सड़कें मंजूर हुई, इनमें पिछले एक साल के भीतर 12 सड़कें अधूरी हैं और 14 सड़कों के लिए काम ही शुरू नहीं हुआ है। रीवा जिले के त्योंथर और जवा विकासखंड में इस वर्ष कोई भी सड़क स्वीकृत नहीं की गई। वर्ष 2016-17 के लिए 15 सड़कों के प्रस्ताव मिले लेकिन बजट मिलने पर काम शुरू होगा। सीधी और सिंगरौली जिले के तहत जनपद पंचायत कुसमी, मझौली और देवसर में 18 सड़कें प्रस्तावित है, इनमें एक भी सड़क पूरी तरह नहीं बनी है।
कपिलधारा और खेत तालाब में भी फंसा पेंच
योजनाओं को बंटाढार कर रहे अफसरों ने कपिलधारा और खेत तालाब योजना में पेंच फंसा दी है। तय किया गया है कि दोनों काम 2 लाख 30 हजार की लागत में पूरे होंगे। जबकि व्यवहारिक तौर यह संभव नहीं है। शांतिधाम और खेल मैदान 32 रुपये प्रति वर्गमीटर के मान से खर्च करने का प्रावधान किया है। दो हजार से कम जनसंख्या वाले गांव में एक शवदाह प्लेटफार्म 1.80 लाख के अंदर ही बनाने के निर्देश हैं। विभाग ने मेढ़ बंधान कार्य को बंद करके ग्रुप मेढ़ बंधान कार्य में तब्तील कर दिया है। भूमि सुधार, मवेशी आश्रय, बकरा-बकरी शेड योजनायें भी बंद हो चुकी हैं। मनरेगा के तहत हर जिले में मजदूरी का भुगतान करोड़ों में अटका है।
खेत सड़क योजना बंद कर दी
मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में ही शामिल खेत सड़क योजना लगभग ठप है। इस योजना को पहले बंद कर दिया गया लेकिन जब कुछ मंत्रियों ने विरोध करने पर एक ग्राम पंचायत में एक खेत सड़क बनाने की सहमति बनी। अगली सड़क तब मंजूर होगी जब पहली बन जायेगी।