आशुतोष झा/नई दिल्ली। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए कमर कस चुकी सरकार उन लोगों पर लगाम लगाने की तैयारी में भी जुट गई है जो जानबूझकर चेक बाउंस करवाते हैं। ऐसे लोगों को एक दो महीने के अंदर ही जेल की हवा खानी पड़ सकती है। सरकार बजट सत्र में एक विधेयक लाने की तैयारी कर रही है जिसके अनुसार अगर ग्राहक चेक बाउंस होने के एक महीने के अंदर कुछ फाइन के साथ भुगतान नहीं करता है तो उसे जेल जाना होगा। अभी भी जेल की सजा का प्रावधान तो है लेकिन कानूनी में लड़ाई महीनों और सालों लगते हैं।
पिछले दिनों में प्रधानमंत्री समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मिलकर कारोबारियों के समूह ने अपनी वेदना जताई थी। उनका कहना था कि चेक बाउंस होने के मामले में उन्हें वसूली करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होता है और कई बार वर्षो लगते हैं। बताते हैं कि फिलहाल विभिन्न कोर्टो में चेक बाउंस के लगभग बीस लाख केस दर्ज हैं। इनमें से कई मामले तो पांच साल से भी पुराने हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कवायद शुरू हो गई है।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में बदलाव लाने की तैयारी हो रही है। चर्चा अभी शुरूआती दौर में है और कई तरह के सुझाव आ रहे है। इसमें एक सुझाव महीने भर के अंदर जेल की सजा का है। सरकार के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार- 'अगर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है तो इस मुद्दे को नहीं छोड़ा जा सकता है। सख्त से सख्त प्रावधान होना चाहिए ताकि लेनदेन में ईमानदारी आए।' उन्होंने आगे बताया कि मोदी सरकार ने ही एक संशोधन लाकर यह तय किया था कि कि जहां चेक क्लीरिंग के लिए दिया गया है वहीं पर केस दर्ज होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बाबत सुझाव दिया था।
गौरतलब है कि चेक बाउंस होने की घटनाओं में तब थोड़ी कमी आई थी जब पहली बार जेल का प्रावधान किया गया था। लेकिन वह भी तब होता है जब कोर्ट में ट्रायल पूरा हो जाए। फिलहाल कानून के तहत चेक मूल्य के दोगुना फाइन या दो साल तक की सजा या फिर दोनो का प्रावधान है। लेकिन यह कोर्ट से निर्णय होने के बाद होता है। नए संशोधन में यह गौरतलब होगा कि सजा ट्रायल के पहले कैसे दी जा सकेगी। या फिर ऐसे मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से करने का प्रावधान होगा।