ग्वालियर। स्कूल शिक्षा विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के स्थान पर समझौता राशि देकर विभाग अपने दायित्वों की इति श्री करना चाहता है। यह मृतक अध्यापकों के आश्रितों के साथ अन्याय होकर खिलवाड़ हैं। सरकार अपनी कमी को छिपाने के लिए समझौता राशि बढ़ाने की बात कर रही है। प्रदेश में 400 से अधिक अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण लम्बित हैं। जिनमे अधिकांश डीएड एवं बीएड योग्यता धारी भी है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा की शर्त अनुकम्पा नियुक्ति में दिसम्बर 2012 से जोड़ी गई है। शर्त जोड़ने के समय से आज तक सरकार या विभाग ने शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन नही किया है। इसके लिए उत्तरदायी कोन है। यह विचारणीय पश्न है। क्या इसके लिए सम्बधित आवेदकों का दोष है। जो आश्रित अनुकम्पा चाहते हैं उन्हें सरकार को अनुकम्पा नियुक्ति ही दी जानी चाहिए। जबरदस्ती समझौता राशि के नाम पर प्रकरणों का निराकरण करने की सरकार की नीति दुर्भाग्य पूर्ण हो कर मृतक अध्यापको के परिवारों के साथ अन्याय है।
म.प्र,शिक्षक कांग्रेस सरकार के इस निर्णय का कटु शव्दों में भर्त्सना करती है। संगठन की मांग है कि अनुकम्पा नियुक्ति में लगाई गई शर्तो को तत्काल हटाकर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जावे। मांग करने वालों में शिक्षक कांग्रेस के नेता सर्व श्री निर्मल अग्रवाल ,बाल कृष्ण शर्मा ,दामोदर जैन ,जगदीश मिश्रा ,उमेश सिकरवार, कमल द्विवेदी , हरीश तिवारी ,प्रमोद त्रिबेदी , राजेंद्र साहू , रासिद खान , राजेंद्र सिंह ,किशन रजक ,महेश भार्गव , भोलाराम शर्मा आदि शामिल है।