राजेश शुक्ला/अनूपपुर। आशा उषा एवं सहयोगिनी कार्यकर्ताओं द्वारा उक्त बैठक में संगठन की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती विभा श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में 85000 आशा एवं आशा सहयोगी शासन के मंशानुरूप शतप्रतिशत टीकारण कराने एवं मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के सार्थक प्रयास करने के बाद भी आशा एवं आशा सहयोगी कार्यकर्ताओं को दिहाडी कर्मियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है जबकि चार माह से प्रदेश के कई जिलों में मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है और मैदानी स्थल पर स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अफसरों द्वारा काम के नाम पर अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है।
श्रीमती विभा श्रीवास्तव ने विभागीय अफसरों को हिदायत दी है कि अब आशा उषा एवं सहयोगी कार्यकर्ता न तो किसी दबाव में काम करेंगी न ही विभागीय अफसरों के मनमानी के आगे नतमस्तक होंगी। अब चुप बैठने के बजाय शासन से आर-पार की लड़ाई लडऩे का समय आ गया है। इसके साथ ही विगत 10 वर्षों से लगातार विभाग में अपनी सेवाएं देने के बाद भी आशा एवं सहयोगी को नियमित सेवा कर्मचारी घोषित नहीं किया जा रहा है।
ये रही मांगें
आशा उषा एवं सहयोगी कर्मचारी को शासकीय कर्मचारी जाना जाये, आशा कार्यकर्ताओं को आरोग्य केंद्र में बैठने की राशि तय की जाये। आशा सहयोगी कर्मचारी को आने-जाने का यात्रा भत्ता दिया जाये। आशा एवं सहयोगी को ए.एन.एम. में भर्ती में १०वीं एवं १२वीं पास को सर्वप्रथम प्राथमिकता दिया जाये। आशा सहयोगी को 15000 एवं आशा कार्यकर्ताओं को 10000 फिक्स मानदेय प्रतिमाह दिया जाये। एन.एच.एम. किसी भी पद में आशा एवं सहयोगी कार्यकर्ता को योग्यतानुसार प्राथमिकता दी जाये। आशा एवं आशा सहयोगी को एएनएम भर्ती में सीधी भर्ती की जाये एवं आयु बंधन मुक्त किया जाये।
हेमलता पटेल, संगीता सिंह, गिरजा प्रजापति, पार्वती गुप्ता, माया सोनी, देववती कुम्हार, कृष्णा सोनी, रिंकू अगरिया, कुंती केवट, पुष्पा सिंह, दुर्गा केवट, मनिया केवट, सुलेखा शर्मा, कलावती राठौर, रूकमणी सिंह, गायत्री राठौर, कौशिल्या बाई, शकुन बाई, इंद्रवती, पार्वती, रानी, सुनीता, फूलबाई सहित अन्य कार्यकर्ता शामिल रहे।