भोपाल। नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ शुरू हुई मोदी की मुहिम में आयकर विभाग की कार्रवाईयां संदिग्ध प्रतीत हो रही हैं। मप्र और छग में विभाग ने कुल 40 ठिकानों पर छापामारी की और मात्र 100 करोड़ की काली कमाई पकड़ सके, जबकि इससे पूर्व आयकर की एक ही छापामार कार्रवाई में 100 करोड़ मिल जाया करते थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि आयकर विभाग बस खानापूर्ति के लिए छापामारी कर रहा है।
आयकर विभाग के सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों रायपुर, जबलपुर और भोपाल में बिल्डर के यहां की गई कार्रवाई में भोपाल के एक बिल्डर को छोड़कर सभी के यहां सर्वे पूरा हो चुका है। रायपुर में बिल्डर्स ने जहां 11 करोड़ रुपए सरेंडर किए हैं, वहीं जबलपुर में बिल्डरों ने 5 करोड़ रुपए की आय सरेंडर की है। सूत्रों का दावा है कि यह उम्मीद का 10 प्रतिशत भी नहीं है।
मंगलवार को इंदौर के तीन केटरर्स पर हुए सर्वे के बाद उन्होंने 5 करोड़ रुपए की आय सरेंडर की थी। ग्वालियर में दो स्थानों पर छापे आयकर विभाग ने गुरुवार को अग्रोहा ज्वेलर्स और गिरिराज ट्रेडर्स शकर व्यापारी के यहां छापे की कार्रवाई की।
अग्रोहा ज्वेलर्स के मालिक मनीष जैन के सराफा बाजार स्थित प्रतिष्ठान और गिरिराज ट्रेर्ड्स के मालिक किशनलाल गर्ग के दाल बाजार स्थित संस्थान सहित पांच स्थानों पर छापे मारे गए। इसमें आयकर के 40 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों की टीम लगी है।
सवाल यह है कि आयकर विभाग की एक कारोबारियों के यहां हुई छापामार कार्रवाई में छोटी छोटी रकम क्यों सरेंडर हो रहीं हैं। 40 छापों में मात्र 100 करोड़ का आंकड़ा यह संदेह जता रहा है कि विभाग रिकॉर्ड के लिए छापामारी तो कर रहा है परंतु कारोबारियों को ढील भी दे रहा है।