जैसे जैसे यूपी सहित पांच राज्यों में चुनावों की बिसात बिछती जा रही है वैसे वैसे ही राजनीतिक दलों और उनके नेताओं में आरोप प्रत्यारोपों और निजी हमलों का दौर शुरू हो गया है। एक दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा था कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए सहारा और बिडला समूह से पैसे लिए थे। राहुल ने मोदी पर हमला किया तो भाजपा तुरंत प्रधानमंत्री के पक्ष में उतर आई।
राहुल के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने इसे अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से ध्यान हटाने की कवायद बताया। गुरुवार को खुद प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष के आरोपों पर मोर्चा संभाला। अपने संसदीय क्षेत्र में उन्होंने एक-एक कर सारे विपक्ष को निशाने पर रखा खासकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को।
राहुल का बिना नाम लिए कहा- कि विपक्ष के एक युवा नेता हैं जो अभी बोलना सीख रहे हैं। जब से उन्होंने बोलना शुरू किया है मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है। 2009 में तो पता ही नहीं था इस पैकेट में क्या है, अब धीरे धीरे पता चल रहा है कि, अच्छा पैकेट में ये है।
राहुल के भूकंप वाले बयान पर कहा कि बोलते तो बड़ा भूकंप आ जाता और देश को इतना बड़ा भूकंप झेलना पड़ा कि दस साल तक देश इससे न उबर पाता। मोदी यहीं नहीं रुके कहा- जिस तरह से कुछ लोगों ने कालाधन के खिलाफ सरकार की मुहिम का विरोध किया उससे पता चला कि कुछ का धन काला है तो कुछ का मन भी काला है। इससे पहले भी मोदी राहुल गांधी को निशाने पर रखते रहे हैं। खासकर उन्हें युवराज कहने का तो कांग्रेस पार्टी ने भी कड़ा विरोध किया था।