भोपाल। भले ही लोग सीएम शिवराज सिंह को सीधा और सरल इंसान कहते हों परंतु आने वाले वक्त में दर्ज किया जाएगा कि उनकी कूटनीति और राजनीति के चालें किसी भी आधुनिक चाणक्य के कम नहीं थीं। वो ना केवल भाजपा में अपने विरोधियों को चुपके से वनवास भेज देते हैं बल्कि कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह को भी चुप कराने की योजना अपने दिल में दबाए रखते हैं। मप्र में चुनावी हलचल शुरू हो गई है। शिवराज सिंह के खिलाफ दिग्विजय सिंह के पास काफी मसाला है। व्यापमं में उन्होंने काफी परेशान किया था अत: अब शिवराज सरकार ने दिग्विजय सिंह पर जांच का जाल डाल दिया है। फंस गए तो तिलमिलाते रह जाएंगे, जब तक मुक्त होंगे, चुनाव सम्पन्न हो चुके होंगे।
1995 से लेकर 2003 तक दिग्विजय सिंह शासनकाल में हुए घोटालों की अब जाकर जांच शुरू हुई है। कछुआ गति से जांच के लिए बदनाम राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने नोटिस जारी किया है। मामला मध्य प्रदेश के राज्य उद्योग विकास निगम (एमपीएसआईडीसी) में करोड़ों रुपए के कर्ज वितरण में घोटाले का है। 719 करोड़ के घोटाले में बयान दर्ज कराने के लिए ईओडब्लयू ने दिग्गीराजा को 16 जनवरी को बुलाया है।
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में एसआईडीसी में 719 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। इस मामले में ईओडब्ल्यू 19 विभिन्न कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी है। अब ईओडब्ल्यू ने दिग्विजय सिंह पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। दिग्विजय सिंह को ईओडब्ल्यू ने 16 जनवरी को पूछताछ के लिए मौजूद रहने का नोटिस दिया है।
राज्य सरकार ने तीन महीने पहले करोड़ों रुपए के कर्ज वितरण में गड़बड़ी के मामले में अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी थी। ईओडब्ल्यू ने न्यायालय में चालान पेश करने के लिए यह मंजूरी मांगी थी। मोहंती एमपीएसआईडीसी के एमडी थे, तब उनके द्वारा 719 करोड़ रुपए के कर्ज बिना गारंटी के बांटे गए थे। तभी से यानी 2004 से इस मामले की जांच चल रही है।