संजय सिंह/नई दिल्ली। रेल मंत्रालय देशभर के रेलकर्मियों से प्राप्त 36 प्रमुख सुझावों पर अमल करेगा। इनमें सबसे अहम सुझाव स्लीपर और साधारण दर्जे की बोगियों को वातानुकूलित बनाने का है। एक अन्य प्रमुख सिफारिश रेल किरायों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी महंगाई से जोड़ने की है।
रेलवे में सुधार के लिए मंत्रालय ने लगभग साढ़े चौदह लाख रेलकर्मियों से सुझाव मांगे थे। जवाब में लगभग एक लाख 36 हजार सुझाव प्राप्त हुए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ आठ विषयों पर आधारित 36 सुझावों को लागू करने लायक माना गया है। इनमें यात्री सुविधाएं, माल ढुलाई, बुनियादी ढांचा, गैर-भाड़ा राजस्व, लगभग शून्य हादसे व मौतें, तकनीकी उन्नयन, कम लागत तथा कार्य संस्कृति शामिल हैं।
सुविधा मिलेगी तो ज्यादा पैसा देने में गुरेज नहीं
सबसे महत्वपूर्ण सुझाव सुविधाओं को बढ़ाकर यात्री अनुभव में सुधार करने से संबंधित हैं। जिनमें एक सुझाव स्लीपर और साधारण दर्जे यानी जनरल की बोगियों को भी वातानुकूलित करने का है। हालांकि रेलवे बोर्ड के कुछ सदस्यों का कहना है कि इससे बोगियों की निर्माण लागत के साथ-साथ प्रचालन खर्च भी बढ़ जाएगा।
राजनीतिक नेतृत्व की सोच इससे अलग है। वह "गरीबों को भी बेहतर सुविधाओं का हक है" का तर्क देकर इसे आगे बढ़ाना चाहता है। राजनीतिक नेतृत्व का मानना है कि जब सुविधाएं बढ़ेंगी तो गरीब यात्री भी थोड़ा अतिरिक्त किराया देने में गुरेज नहीं करेंगे।
आखिर खर्च के डर से गरीबों को कब तक सुविधाओं से वंचित रखा जाएगा। वैसे भी भारत ऐसा देश है, जहां साल में आठ महीने गर्मी पड़ती है। एसी में यात्रा से गरीबों का दुख-दर्द कुछ तो कम होगा। फिर किराए की अड़चन साधारण दर्जे में ही आएगी।